अमर सैनी
नोएडा। नोएडा-ग्रेटर नोएडा करीब 63 चीनी कंपनियां चल रही है। इन कंपनियों पर इलेक्ट्रॉनिक पार्ट्स के नाम पर चीन से प्रतिबंधित ई-सिगरेट मंगाए जाने का आरोप लग रहा है। यह संदेह जीएसटी विशेष जांच दल ने जाहिर किया है। अब यह सभी कंपनियां जीएसटी की रडार पर हैं। पिछले तीन महीनों के दौरान एनसीआर में ई-सिगरेट की बड़ी खेप पकड़े जाने के बाद जांच में कंपनियों के नाम सामने आए हैं। इसके अलावा शॉपिंग वेबसाइट के साथ-साथ ई-सिगरेट की ऑनलाइन डिलीवरी करने वाली कूरियर कंपनियां भी जीएसटी की रडार पर है।
ई-सिगरेट बेचने और इसे ऑनलाइन ऑर्डर करने पर प्रतिबंध के बावजूद नोएडा में चीनी कंपनियां इसे चोरी-छिपे आयात करने में लगी हुई हैं। ई-सिगरेट पर प्रतिबंध के पीछे वजह इसके इस्तेमाल से हृदय रोग, सांस की बीमारी और कैंसर जैसी बीमारियों की आशंका है। इस संबंध में जीएसटी के नोएडा कार्यालय में प्रमुख सचिव गृह का पत्र भी आया है, जिसमें कहा गया कि भारत में ई-सिगरेट पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसी भी देशी या विदेशी कंपनी द्वारा इसके आयात की जानकारी मिलने पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। नोएडा और ग्रेटर नोएडा समेत कई इलाकों में बड़ी पान की दुकानों पर ई-सिगरेट खुलेआम बिक रही है। ई-पेन, ई-पाइप, ई-हुक्का और ई-सिगार 100 से 10 हजार रुपये में बिकने की सूचना के बाद पुलिस छापेमारी में भी जुटी है। शहर के किशोरों और युवाओं में इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी है।
क्या है ई-सिगरेट
ई-सिगरेट बैटरी से चलने वाला उपकरण है। यह पेन या लाइटर की तरह आकार का होता है, जिसका इस्तेमाल एक तरह के धूम्रपान के लिए किया जाता है, जिसे वेपिंग कहते हैं। इनसे वाष्प बनती है, जो फेफड़ों में गहराई तक जाती है, जिससे तंबाकू वाली सिगरेट पीने जैसा अहसास होता है। पारंपरिक सिगरेट की तरह ज्यादातर ई-सिगरेट में निकोटीन होता है।