अमर सैनी
नोएडा। नीति आयोग के नेतृत्व में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ने उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं को पूरा करने और स्वास्थ्य बीमा क्षेत्र में कवरेज बढ़ाने के विषय पर सोमवार को एक महत्वपूर्ण बहु-हितधारक बैठक की। बैठक नीति आयोग भवन में नीति आयोग के माननीय सदस्य (स्वास्थ्य) डॉ. वी.के. पॉल की अध्यक्षता में हुई।
वहीं, फेलिक्स अस्पताल के चेयरमैन डॉ. डी.के. गुप्ता ने स्वास्थ्य बीमा में हाल ही में हुए सुधारों पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि मौजूदा सुधारों का उद्देश्य अधिक से अधिक नागरिकों को स्वास्थ्य बीमा सुविधाएं प्रदान करना है, ताकि हर व्यक्ति को उचित स्वास्थ्य सेवाएं मिल सकें। डॉ. डी.के. गुप्ता ने कहा कि आज के समय में बीमारियों के बढ़ते जोखिम को देखते हुए सभी नागरिकों के लिए स्वास्थ्य बीमा होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि इन सुधारों के तहत योजनाओं को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि बीमा का लाभ उठाना आसान हो और किसी भी स्थिति में लोगों को वित्तीय संकट का सामना न करना पड़े। साथ ही उन्होंने कहा कि नई योजनाएं और प्रक्रियाएं लोगों के लिए समझने में सरल और प्रभावी होनी चाहिए ताकि अधिक से अधिक लोग लाभ उठा सकें। डॉ. गुप्ता ने सुझाव दिया कि सरकार और निजी क्षेत्र को मिलकर काम करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि बीमा योजनाएं सस्ती और व्यापक हों। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि बीमा का दायरा केवल इलाज तक सीमित नहीं होना चाहिए बल्कि इसमें निवारक और पुनर्वास सेवाएं भी शामिल होनी चाहिए ताकि नागरिकों को पूर्ण स्वास्थ्य सुरक्षा मिल सके। सदस्यों ने कहा कि वर्तमान में भारत में लगभग 25 करोड़ लोग किसी न किसी रूप में स्वास्थ्य बीमा के अंतर्गत आते हैं और यह संख्या लगातार बढ़ रही है। हालांकि, उपभोक्ता अनुभव से संबंधित कुछ गंभीर मुद्दे सामने आए हैं, जिनमें जीवनशैली संबंधी बीमारियों के लिए लंबी प्रतीक्षा अवधि, दावा निपटान में देरी, उच्च प्रीमियम दरें और समय-समय पर अस्पतालों द्वारा “सर्ज प्राइसिंग” शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, ‘लापता मध्यम’ के रूप में पहचाने जाने वाले जनसंख्या खंड को स्वास्थ्य बीमा उत्पादों की उपलब्धता और सामर्थ्य के मामले में विशेष कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (IRDAI) द्वारा हाल ही में किए गए सुधारों ने इस क्षेत्र में नए और बड़े अवसर प्रदान किए हैं। बैठक में IRDAI, बीमा कंपनियों और निजी अस्पताल संगठनों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने भाग लिया। उन्होंने उपभोक्ता अनुभव को बेहतर बनाने, विश्वास को मजबूत करने, सस्ती बीमा योजनाएं विकसित करने और स्वास्थ्य बीमा के प्रति लोगों में जागरूकता और रुझान बढ़ाने के विभिन्न उपायों पर चर्चा की। पहले सत्र में ग्राहक-अनुकूल स्वास्थ्य बीमा सेवाओं यानी भुगतानकर्ताओं और प्रदाताओं की जिम्मेदारी पर चर्चा की गई। इस सत्र में बीमा प्रदाताओं और सेवा प्रदाताओं के बीच समन्वय बढ़ाकर ग्राहक अनुभव में सुधार के विषय पर चर्चा की गई। दूसरे सत्र में किफायती उत्पादों के माध्यम से स्वास्थ्य बीमा कवरेज के विस्तार पर चर्चा की गई। हाल के नियामक सुधारों के बाद अवसर IRDAI के नए दिशानिर्देशों और सुधारों के बाद व्यापक जनता के लिए सस्ती बीमा योजनाओं के विकास पर चर्चा की गई। बैठक में नीति आयोग के स्वास्थ्य सदस्य डॉ. वीके पॉल ने इस पर विस्तार से चर्चा की। सभी प्रतिभागियों को उनके योगदान के लिए धन्यवाद दिया गया। यह बैठक न केवल उपभोक्ताओं की अपेक्षाओं और जरूरतों को समझने में मददगार साबित हुई। बल्कि स्वास्थ्य बीमा के क्षेत्र में व्यापक कवरेज और प्रभावी सेवा प्रदान करने के प्रति सकारात्मक दृष्टिकोण भी विकसित करेगी। इस अवसर पर नीति आयोग के कार्यक्रम निदेशक (स्वास्थ्य) राजीव कुमार सेन, नीति आयोग के सीईओ बीवीआर सुब्रमण्यम, आईआरडीएआई के सदस्य (गैर-जीवन) दीपक सूद ने भी बात की।