नई दिल्ली, 31 दिसम्बर: समुद्र में आपातकालीन चिकित्सा प्रशिक्षण और क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) ने मंगलवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स दिल्ली) के साथ एक करार (एमओयू) किया।
एम्स के एनेस्थिसियोलॉजी के अति. प्रो. डॉ. शैलेंद्र कुमार ने बताया कि करार के तहत एम्स दिल्ली तटरक्षक चिकित्सा अधिकारियों को ह्रदय, फेफड़े और त्वचा की रक्षा के लिए उन्नत प्रशिक्षण प्रदान करेगा, जिससे वह चुनौतीपूर्ण वातावरण में आपात चिकित्सा स्थितियों से निपटने में सक्षम बन सकेंगे। आईसीजी के चिकित्सा विशेषज्ञों को भारतीय गाइडलाइन्स के मुताबिक कार्डियो पल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) का तकनीकी प्रशिक्षण प्रदान करने के साथ ही पानी में डूबने, सांप के काटने, आग से जलने और चोकिंग होने (खाना खाते समय गले में भोजन फंसना) जैसी स्थितियों से निपटने के लिए प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण दिया जाएगा।
इसके अलावा दुर्घटना के चलते शरीर का कटा अंग सुरक्षित अस्पताल लाने का तरीका सिखाया जाएगा ताकि पीड़ित का सफल अंग प्रत्यारोपण संभव हो सके। समझौते पर आईसीजी के सर्जन कमांडर संजय दत्ता और सीआरटीसी एम्स समन्वयक के डॉ. शैलेंद्र कुमार ने हस्ताक्षर किए। इस दौरान एम्स निदेशक प्रो. एम. श्रीनिवास, आईसीजी के महानिरीक्षक ज्योतिंद्र सिंह, सर्जन कमांडर दिव्या गौतम के अलावा एम्स के एनेस्थिसियोलॉजी, पेन मेडिसिन व क्रिटिकल केयर के प्रमुख प्रो. गंगा प्रसाद और डॉ. अमित कुमार आदि मौजूद रहे।
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