
नई दिल्ली, 18 फरवरी : मांसपेशियों, हड्डियों व जोड़ों से जुड़ी चोटों से उबरने और मस्कुलोस्केलेटल रिहैब या खेल पुनर्वास के लिए मंगलवार को सेना अस्पताल ( रिसर्च एंड रेफरल) में अंतर-कमांड सम्मेलन का आयोजन किया गया।
सम्मेलन का विषय मस्कुलोस्केलेटल पुनर्वास और खेल चोटों में वैश्विक सर्वोत्तम अभ्यास और उन्नति था और इसमें भारतीय सेना के विभिन्न कमांडों के साथ एम्स दिल्ली, एम्स पटना, सफदरजंग अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, फोर्टिस अस्पताल (मोहाली), केजीएमयू (लखनऊ) जैसे प्रतिष्ठित नागरिक संस्थानों से 200 से अधिक विशेषज्ञों और 39 वक्ताओं ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन सेना अस्पताल के खेल चिकित्सा, शारीरिक चिकित्सा एवं पुनर्वास विभाग ने मस्कुलोस्केलेटल रिहैब एवं खेल चोट पर पहली बार किया है।
इस दौरान, महानिदेशक सशस्त्र बल और चिकित्सा सेवाएं (डीजी-एएफएमएस) सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन ने कहा, निरंतर शैक्षणिक और अनुसंधान-उन्मुख साक्ष्य-आधारित दृष्टिकोण के साथ-साथ कौशल वृद्धि और प्रौद्योगिकी संचालित मस्कुलोस्केलेटल पुनर्वास व प्रबंधन विकल्प के उपयोग से शारीरिक स्वास्थ्य को जल्दी ठीक किया जा सकेगा। सेना अस्पताल के निदेशक व सशस्त्र बल फिजियाट्री के मुख्य संरक्षक लेफ्टिनेंट जनरल शंकर नारायण ने कहा, स्पोर्ट्स मेडिसिन और पुनर्वास के क्षेत्र में ज्ञान का आदान-प्रदान, तकनीक और सॉफ्ट स्किल का अधिग्रहण समय की मांग है।
मस्कुलोस्केलेटल रिहैब?
मस्कुलोस्केलेटल सिस्टम में चोट लगने से कंकाल की मांसपेशियों में हाइपोट्रॉफी और कमजोरी, एरोबिक क्षमता में कमी और थकान हो सकती है, जिससे शारीरिक क्षमता प्रभावित होती है। खेल की चोट के बाद पुनर्वास के दौरान कार्डियोवैस्कुलर सहनशक्ति को बनाए रखने की कोशिश की जाती है। इससे उबरने के लिए व्यायाम और सर्जरी का इस्तेमाल किया जाता है। खेल चोटों के पुनर्वास के जरिये एथलीट को खेल में वापस आने में मदद मिलती है।
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