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नई दिल्ली: समुद्री वर्चस्व कायम रखने के लिए नौसेना की ताकत में लगातार इजाफा

नई दिल्ली: -समुद्री सुरक्षा के लिए तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग

नई दिल्ली, 3 फरवरी : रक्षा, सुरक्षा, व्यापार और रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में देश का वर्चस्व बनाए रखने के लिए नौसेना की ताकत में लगातार इजाफा किया जा रहा है।

इसके तहत पीएम मोदी ने हाल ही में स्वदेशी रूप से डिजाइन और निर्मित आईएनएस सूरत और आईएनएस नीलगिरि के साथ इंडो-फ्रेंच सहयोग से मुंबई में निर्मित आईएनएस वाग्शीर पनडुब्बी को नौसेना में शामिल करके नौसेना को ताकतवर बना दिया है। समुद्र में नौसेना की हवाई ताकत में पंख लगाने के लिए भारत, फ्रांस से 26 राफेल (समुद्री सेवा) लड़ाकू जहाज और 3 स्कॉर्पीन पनडुब्बी खरीद की डील कर रहा है। जो संभवतः 31 मार्च से पहले संपन्न हो जाएगी। नौसेना को मिलने वाले 26 समुद्री राफेल जेट में से 4 प्रशिक्षण के लिए और 22 हमले के लिए होंगे। इन लड़ाकू जहाजों को एयरक्राफ्ट कैरियर विक्रांत पर तैनात किया जाएगा।

10 सालों में 96 पनडुब्बी और पोत होंगे शामिल
यही नहीं अगले 10 सालों में 96 जहाज और पनडुब्बियां भी शामिल की जाएंगी। इनमें से करीब 60 जहाज और पनडुब्बियां निर्माणाधीन हैं। देश की पहली नाभिकीय शक्ति वाली पनडुब्बी एसएसएनएस 2036- 37 तक नौसेना के बेड़े में शामिल हो जाएगी। इस पनडुब्बी के सेना में शामिल होने के दो साल बाद दूसरी पनडुब्बी को भी शामिल कर लिया जाएगा। नौसेना ऐसी 6 पनडुब्बी बनाएगी। इसके अलावा नौसेना को 31 युद्धपोत, 6 पनडुब्बियां और 60 यूटिलिटी हेलीकॉप्टर की जरूरत है।

नाभिकीय पनडुब्बी जरुरी क्यों ?
हालांकि, देश के पास डीजल- इलेक्ट्रिक पनडुब्बी है लेकिन इसे चार्ज होने के लिए एक दिन में कम से कम एक बार समुद्र की सतह पर आना पड़ता है। जिससे इसकी सुरक्षा प्रभावित होती है यानि हमले की आशंका बढ़ जाती है। वहीं, एयर इंडिपेंडेंट प्रोपल्शन से लैस डीजल -पनडुब्बी लंबे समय तक पानी में रह तो सकती है। लेकिन इस पनडुब्बी को अपने हथियारों के साथ – साथ गति से भी समझौता करना पड़ता है। इसलिए नौसेना ने सरकार से नाभिकीय शक्ति स्ट्राइक पनडुब्बी की मांग की है।

तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर की मांग
भारतीय नौ सेना के पास रूस निर्मित आईएनएस विक्रमादित्य और स्वदेशी आईएनएस विक्रांत- दो एयरक्राफ्ट कैरियर हैं। विक्रमादित्य अपना कार्यकाल लगभग खत्म कर चुका है। इसकी जगह एक नया कैरियर लेगा जिसका नाम विक्रमादित्य होगा। यह परमाणु ऊर्जा पर आधारित होगा और आकार में आईएनएस विक्रांत से बड़ा होगा। यानि देश का तीसरा एयरक्राफ्ट कैरियर नौसेना का दूसरा एयरक्राफ्ट कैरियर होगा।

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