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नई दिल्ली: रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा ‘अग्निशोध’ : सेनाध्यक्ष

नई दिल्ली: -सेना के अनुसंधान प्रकोष्ठ ने आईआईटी मद्रास के सहयोग से विकसित किया 'अग्निशोध' केंद्र

नई दिल्ली, 4 अगस्त : रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता के लिए स्थापित ‘अग्निशोध’ केंद्र का उद्घाटन सेनाध्यक्ष जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने सोमवार को चेन्नई में किया। वह दो दिवसीय यात्रा के तहत चेन्नई के दौरे पर हैं।

दरअसल सेना ने भारतीय सेना अनुसंधान प्रकोष्ठ (आईएआरसी) के तहत ‘अग्निशोध’ केंद्र को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मद्रास के साथ मिलकर चेन्नई में विकसित किया है। जो आईआईटी मद्रास के परिसर में ही काम करेगा। इस दौरान अग्निशोध केंद्र उन्नत विनिर्माण प्रौद्योगिकी विकास केंद्र (एएमटीडीसी) और प्रवर्तक टेक्नोलॉजीज फाउंडेशन जैसी संस्थाओं के साथ मिलकर अनुसंधान करेगा।

यह प्रयोगशाला-स्तरीय नवाचारों को क्षेत्र में विकसित प्रौद्योगिकियों में परिवर्तित करने के लिए भी कार्य करेगा। साथ ही एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग, साइबर सुरक्षा, क्वांटम कंप्यूटिंग, वायरलेस संचार और मानव रहित हवाई प्रणालियों सहित प्रमुख उभरते क्षेत्रों में सैन्य कर्मियों के कौशल विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा और सशस्त्र बलों के भीतर एक तकनीकी रूप से सशक्त मानव संसाधन आधार का निर्माण करेगा।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने आईआईटी मद्रास में “ऑपरेशन सिंदूर – आतंकवाद के विरुद्ध भारत की लड़ाई में एक नया अध्याय” विषय पर बोलते हुए कहा, यह ऑपरेशन ऐतिहासिक, खुफिया-संचालित प्रतिक्रिया था जिसने भारत के आतंकवाद-रोधी सिद्धांत को पुनर्परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि 88 घंटे का यह ऑपरेशन पैमाने, सीमा, गहराई और रणनीतिक प्रभाव के मामले में अभूतपूर्व था और इसे डीआईएमई स्पेक्ट्रम में अंजाम दिया गया। युद्ध की बदलती प्रकृति पर प्रकाश डालते हुए, उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि भारतीय सशस्त्र बल गैर-संपर्क युद्ध, रणनीतिक गति और मनोवैज्ञानिक प्रभुत्व से प्रेरित पाँचवीं पीढ़ी के संघर्षों के लिए तैयार हैं।

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