
नई दिल्ली, 9 अप्रैल : देश में शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के बाद केंद्र सरकार को मातृ मृत्यु दर में भी कमी लाने में सफलता मिली है जिसके तहत प्रसव के दौरान होने वाली मौतों की संख्या प्रति लाख 103 से घटकर 80 हो गई है।
यह दावा स्वास्थ्य मंत्रालय ने संयुक्त राष्ट्र मातृ मृत्यु दर अनुमान अंतर-एजेंसी समूह (एमएमईआईजी) के तकनीकी विशेषज्ञों के सहयोग से 195 देशों के लिए विकसित रिपोर्ट के आधार पर किया है। इस रिपोर्ट में 2000-2023 की अवधि के लिए वैश्विक, क्षेत्रीय और देश-स्तरीय मातृ मृत्यु दर के अनुमान पेश किए गए हैं। पिछली एमएमईआईजी रिपोर्ट 2000-2020 की तुलना में भारत के लिए मातृ मृत्यु दर अनुमान में 23 अंकों की कमी दर्शाई गई है। यानि अब 103 मृत्यु प्रति लाख से घटकर 80 मृत्यु प्रति लाख हो रही हैं। अब भारत 80 महिलाओं का जीवन बचाने के लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है।
इसके अलावा भारत में अनुमानित मातृ मृत्यु की संख्या भी 24000 से घटकर 19000 प्रति लाख हो गई है। जो दुनिया में होने वाली कुल एमएमआर मौतों का 7.2% है। रक्तस्राव प्रसूति मृत्यु का प्रत्यक्ष कारण है और विश्व स्तर पर मातृ मृत्यु दर का प्रमुख कारण बना हुआ है। वहीं पिछले 33 वर्षों (1990 से 2023 तक) में वैश्विक स्तर पर मातृ मृत्यु दर में 48% की कमी की तुलना में भारत की एमएमआर में अब 86% की बड़ी गिरावट आई है।
हालांकि, नाइजीरिया पहले स्थान पर है, जहां एक साल में 75000 मातृ मृत्यु हुई हैं। इस रिपोर्ट को विकसित करने वाले समूह में डब्ल्यूएचओ, संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ), संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए), विश्व बैंक समूह और संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक मामलों का विभाग, जनसंख्या प्रभाग (यूएनडीईएसए/जनसंख्या प्रभाग) शामिल हैं।
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