
नई दिल्ली, 1 सितंबर : अक्सर बरसात के मौसम में कंजक्टिवाइटिस या आई फ्लू का आतंक बढ़ जाता है। जिसे सामान्य बोलचाल की भाषा में पिंक आई और आंख आना भी कहते हैं। इससे बचाव के लिए एम्स दिल्ली के नेत्र विशेषज्ञों ने सोमवार को एक सार्वजनिक व्याख्यान का आयोजन किया जिसमें आईफ्लू के लक्षण, बचाव और उपचार की जानकारी साझा की गई।
इस दौरान एम्स दिल्ली के आरपी सेंटर की नेत्र विशेषज्ञ श्रीदेवी नायर ने कहा, बारिश के मौसम में हवा और वातावरण ज्यादा नमी वाला हो जाता है। नमी और गीला वातावरण कीटाणुओं के पनपने के लिए उपयुक्त बन जाता है। जिसके चलते व्यक्ति को आईफ्लू हो जाता है। यह प्रदूषण और भीड़भाड़ वाली जगहों के अलावा स्कूल और ऑफिस में लोगों से नजदीकी संपर्क रखने के चलते भी तेजी से फैलता है। इस दौरान कंजक्टिवाइटिस या आई फ्लू के संक्रमण के अलावा स्किन एलर्जी और कभी-कभी कॉर्नियल इन्फेक्शन या पुतली में भी इन्फेक्शन हो जाता है।
आई फ्लू के लक्षण
मॉनसून में कज्क्टिवाइटिस होने के दौरान आंखें लाल हो जाती हैं, आंखों से पानी आता है और पलकें चिपकने लगती हैं। ये संक्रमण तेजी से एक इंसान से दूसरे इंसान में फैलता है लेकिन इसका सबसे सामान्य कारण वायरस और कभी कभी बैक्टीरिया भी होता है।
आईफ्लू पीड़ित की निजी वस्तुएं न करें इस्तेमाल
आई फ्लू से संक्रमित व्यक्ति की इस्तेमाल शुदा चीजों को छूने या स्पर्श करने से यह फैलता है। जैसे किसी ने आंख रगड़ी, फिर उसी हाथ से तौलिया छू लिया, फिर दूसरे ने उसी तौलिये को इस्तेमाल कर लिया तो ऐसे में ये संक्रमण बड़ी आसानी से दूसरे व्यक्ति को हो जाता है। कुछ लोगों में ये गलतफहमी है कि ये, आईफ्लू से पीड़ित व्यक्ति की आंखों को देखने से फैलता है, ऐसा नहीं होता है। यह संक्रमित व्यक्ति को छूने या उसके छूए हुए सामान के संपर्क में आने से फैलता है।
ठीक होने में लगता है एक हफ्ता
ज्यादातर फ्लू के केसेज माइल्ड होते हैं और हफ्ते भर में ये ठीक भी हो जाते हैं। बस थोड़ी सी देखभाल करनी होती है। जैसे कि ठंडी सिकाई, लुब्रिकेंट आई ड्रॉप्स, आंखों का साफ रहना बहुत जरूरी है। कंजक्टिवाइटिस में आंख लाल और चिपचिपी हो सकती है लेकिन आमतौर पर नजर पर इसका ज्यादा असर नहीं पड़ता है।