पक्षियों के पंखों पर कला रचने वाली बंगाल की इशानी सोशल मीडिया पर बनी सेंसेशन
पश्चिम बंगाल की इशानी रजक पक्षियों के बेकार पंखों पर देवी-देवताओं और महापुरुषों की पेंटिंग बनाकर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी हैं। उनकी कला को अब ग्लोबल पहचान मिल रही है।

लेखक: अमर देव पासवान
सलानपुर, पश्चिम बंगाल:
बंगाल के आसनसोल स्थित सलानपुर की रहने वाली इशानी रजक आज सोशल मीडिया पर एक जाना-पहचाना नाम बन चुकी हैं। वजह है — उनकी अनोखी कला, जो वह पक्षियों के बेकार पंखों पर पेंटिंग करके प्रदर्शित कर रही हैं। उनकी यह कलात्मक यात्रा एक जुनून बन चुकी है, जो अब उनके लिए पहचान और सम्मान का माध्यम बन गई है।
इशानी का शुरुआती जीवन और शिक्षा:
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इशानी के पिता उत्तम रजक पेशे से दर्जी हैं और मां एक गृहिणी हैं।
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उन्होंने 11वीं–12वीं तक की पढ़ाई हिंदुस्तान केबल्स स्कूल से की और फिर कुल्टी कॉलेज से अकाउंटेंसी ऑनर्स की पढ़ाई पूरी की।
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वे सरकारी नौकरी की तैयारी कर रही थीं, लेकिन सफलता नहीं मिल पाई।
कैसे शुरू हुई पंखों पर पेंटिंग?
कोविड लॉकडाउन के दौरान जब सब कुछ बंद था, तब इशानी ने पुराने पक्षियों के पंखों को देखना और उन पर पेंटिंग करना शुरू किया।
बचपन से ही उन्हें जानवरों और पक्षियों से गहरा लगाव था — स्कूल जाते वक्त वह आवारा कुत्तों और बिल्लियों को अपना टिफिन खिला देती थीं।
धीरे-धीरे, उन्होंने पक्षियों के गिरे हुए पंखों को जमा करना शुरू किया और उन पर देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों और राष्ट्रीय नायकों की अद्भुत पेंटिंग बनाईं। पहली पेंटिंग जब सोशल मीडिया पर वायरल हुई, तो लोगों ने उनकी कला को हाथों-हाथ लिया।
सोशल मीडिया पर ग्लोबल पहचान
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इशानी की कला अब विश्व स्तर पर मशहूर हो चुकी है।
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उनके पंखों पर बनी पेंटिंग की डिमांड देश-विदेश से आने लगी है।
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वह अब अन्य कलाकारों को भी यह अनोखी कला सिखा रही हैं।
कला के लिए समर्पण और प्रेरणा
इशानी कहती हैं:
“अगर किसी में लगन, समर्पण और जुनून हो, तो कोई भी बाधा उसे नहीं रोक सकती।”
आज जब वह सड़क पर निकलती हैं तो लोग उन्हें सेलिब्रिटी की तरह सम्मान देते हैं। बच्चे उन्हें देखकर उत्साहित हो जाते हैं।
कला प्रदर्शनियों में सबसे बड़ा आकर्षण
इशानी को जब भी कला प्रदर्शनी में बुलाया जाता है, तो सबसे ज़्यादा रिस्पॉन्स उनकी पेंटिंग्स को मिलता है। वह इसे अपने जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि मानती हैं।