
नई दिल्ली, 27 मार्च: अगर आप जले -भुने तंदूरी खाने और जंक फूड के शौकीन हैं तो आपको सतर्क होने की जरुरत है। यह शौक दीर्घावधि में पेट का कैंसर या कोलन कैंसर का कारण बन सकता है। इस शौक की वजह से प्रतिवर्ष करीब 5 लाख लोग कोलन कैंसर से पीड़ित हो रहे हैं।
इस रोग की वृद्धि के मद्देनजर राम मनोहर लोहिया अस्पताल ने अपने गैस्ट्रोएंटरोलॉजी (जीआई) विभाग में एक नई डायग्नोस्टिक मशीन ‘कैडआई’ स्थापित की है जिसका उद्घाटन डॉ अजय शुक्ला ने शुक्रवार को किया। उनके साथ डॉ मनोज झा, डॉ. प्रीति राजपूत और डॉ. संदीप लामोरिया भी मौजूद थे। इस अवसर पर जीआई विभाग की प्रमुख डॉ वैशाली भारद्वाज ने बताया कि आजकल लोग पारंपरिक भारतीय खाने (मोटा अनाज और हरी पत्तेदार सब्जियां) की जगह जले -भुने तंदूरी खाने और जंक फूड का जमकर सेवन कर रहे हैं जिसके चलते गैस्ट्रिक कैंसर और कोलन कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं।
उन्होंने बताया कि कोलन कैंसर बड़ी आंत (कोलन) में शुरू होता है, जबकि पेट का कैंसर पेट (स्टोमक) में। दोनों रोगों के लक्षण, जोखिम कारक और उपचार में अंतर होते हैं, लेकिन दोनों ही गंभीर होते हैं लेकिन जल्द पता लगाने और इलाज शुरू करने से ठीक भी हो सकते हैं। इस संबंध में ‘कैडआई’ एक उपयोगी मशीन है। यह एक एआई आधारित उन्नत एंडोस्कोपी प्रणाली है जो कोलन कैंसर, गैस्ट्रिक कैंसर के पूर्व स्थितियों सटीक आकलन करती है। यह उन छिपे हुए क्षेत्र को भी कवर करती है जो अन्य मशीनों की पकड़ में नहीं आते हैं। यह मशीन ऊपरी और निचले गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक्ट दोनों में प्रारंभिक जीआई कैंसर का पता लगाने में सक्षम है।
कैसे होता है पेट का कैंसर?
पेट की परत को म्यूकोसा कहते हैं, जो एसिड और एंजाइमों का उत्पादन करता है जो भोजन को पचाने में मदद करते हैं। जब पेट का म्यूकोसा खाने की नली में आ जाता है, तो यह एसिड रिफ्लक्स या गैस्ट्रिक एसिड का उत्पादन करता है, जो भोजन को पचाने में मदद करता है, लेकिन जब पेट का एसिड बार -बार खाने की नली में वापस जाने लगता है तब पेट के कैंसर या गैस्ट्रिक कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
कैसे होती है जांच ?
पेट के कैंसर का पता लगाने के लिए एंडोस्कोपी, सीटी स्कैन, एमआरआई, बेरियम निगलना, पीईटी स्कैन और रक्त परीक्षण जैसे कई तरह के टेस्ट किए जा सकते हैं लेकिन एंडोस्कोपी पेट के कैंसर का पता लगाने का सबसे आम टेस्ट है। इसमें डॉक्टर मरीज के मुंह से एक पतली, लचीली ट्यूब डालते हैं जिसमें कैमरा होता है। इस ट्यूब से पेट के अंदर देखा जा सकता है। इस टेस्ट में ऊतक का नमूना (बायोप्सी) भी लिया जा सकता है।