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नई दिल्ली: हर 8 मिनट में एक महिला की जान लील रहा सर्वाइकल कैंसर

नई दिल्ली: -90 -70-90 फार्मूला से हो सकता है सर्वाइकल कैंसर का उन्मूलन

नई दिल्ली, 21 अप्रैल : देश में गर्भाशय ग्रीवा कैंसर या सर्वाइकल कैंसर के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है जो स्तन कैंसर के बाद महिलाओं में पाया जाने वाला दूसरा सबसे आम कैंसर बन गया है। इसके चलते जहां प्रतिवर्ष लगभग 127,526 नए मामले सामने आते हैं। वहीं, 79,906 मौतें हो जाती हैं। यानि हर 8 मिनट में एक महिला सर्वाइकल कैंसर से जान गंवा रही है।

यह जानकारी पद्मश्री डॉ नीरजा बाटला ने राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी के 65वें स्थापना दिवस समारोह में सोमवार को अंसारी नगर में दी। इस अवसर पर एम्स निदेशक डॉ एम श्रीनिवास, पीजीआई चंडीगढ़ के निदेशक डॉ विवेक लाल, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी के अध्यक्ष डॉ दिगंबर बेहरा, निर्वाचित अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत) डॉ वेलु नायर और सचिव डॉ उमेश कपिल मौजूद रहे।

डॉ भाटला ने कहा, सर्वाइकल कैंसर का एक लंबा प्री कैंसर चरण होता है और अगर प्री कैंसर या शुरुआती चरणों में इसका पता चल जाए तो इसे ना सिर्फ रोका जा सकता है। बल्कि इसका इलाज भी किया जा सकता है। उन्होंने बताया ये (सर्वाइकल कैंसर) एक संक्रामक रोग है जो ह्यूमन पेपिलोमावायरस (एचपीवी) के संपर्क में आने की वजह से फैलता है।

उन्होंने 90 -70-90 फार्मूला पर अमल के जरिये देश से सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सकता है। इसके लिए हमें 2030 तक 90% लड़कियों को 15 साल की उम्र होने से पहले टीका लगाने, 70% महिलाओं को 35 वर्ष की आयु में और फिर 45 वर्ष की आयु तक एचपीवी परीक्षण करने होंगे। साथ ही कैंसर पीड़ित 90% महिलाओं का इलाज सुनिश्चित करना होगा।

डॉ भाटला ने कहा, सर्वाइकल कैंसर नियंत्रण के लिए बड़े पैमाने पर एचपीवी वैक्सीन और एचपीवी जांच किट की जरुरत है। जिसे बहुप्रतीक्षित स्वदेशी एचपीवी वैक्सीन की उपलब्धता से संभव बनाया जा सकता है। इससे जहां सर्वाइकल कैंसर के मामले कम करने में सफलता मिलेगी। वहीं 2062 में सर्वाइकल कैंसर पीड़ित महिलाओं का आंकड़ा 17.7 प्रति लाख से घटाकर 04 प्रति लाख का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।

दुर्गम समुदायों में मामले ज्यादा
सर्वाइकल कैंसर के मामले देखें तो देश भर में रोग की घटनाओं में व्यापक भिन्नता है, जो डिब्रूगढ़, असम में 4.1 प्रति एक लाख महिलाओं से लेकर पापुमपारे, अरुणाचल प्रदेश में 27.7 प्रति एक लाख महिलाओं तक है। इस बीमारी से दुर्गम समुदायों में रहने वाली और खराब सामाजिक आर्थिक स्थिति वाली महिलाएं सबसे ज्यादा प्रभावित होती हैं। जिसका पता अक्सर एडवांस स्टेज में चलता है।

स्क्रीनिंग आसानी से सुलभ
इस रोग की स्क्रीनिंग आसानी से सुलभ है। इसके लिए स्वास्थ्य देखभाल कार्यकर्ताओं को एसिटिक एसिड (वीआईए) के साथ दृश्य निरीक्षण करने और समुदाय स्तर पर साइटोलॉजी और मानव पेपिलोमा वायरस (एचपीवी) परीक्षण के लिए सर्वाइकल कैंसर के नमूने एकत्र करने के लिए प्रशिक्षित किया जा सकता है।

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