नई दिल्ली, 6 अगस्त : वायु प्रदूषण गर्भवती महिलाओं के साथ उनके भ्रूण के स्वास्थ्य को भी बुरी तरह प्रभावित कर रहा है। जिसके चलते गर्भवती महिलाओं के बीपी में वृद्धि, उनके भ्रूण के विकास में बाधा, समय से पहले डिलीवरी, जन्म के समय शिशु के वजन कम होने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं।
यह जानकारी हमदर्द इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च (एचआईएमएसआर) के परिवेशी वायु प्रदूषण नामक अध्ययन से सामने आई है। जिसे प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की प्रोफेसर डॉ. अरुणा निगम के नेतृत्व में डॉ. नेहा भारद्वाज ने संपन्न किया है। अध्ययन में 25 से 35 वर्ष आयु की 1155 गर्भवती महिलाओं को शामिल किया गया। इस दौरान महिला और भ्रूण की प्रत्येक तीन माह में चिकित्सकीय जांच की गई, तो पता चला कि वायु प्रदूषण का गर्भावस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है।

इस दौरान समय से पहले जन्म (आठवें महीने से कम) के मामले 10% गर्भवती महिलाओं में देखे गए, जिसके पीछे पीएम 2.5 और नाइट्रोजन डाइऑक्साइड और ओजोन जैसे विष के संपर्क में आना प्रमुख वजह रही। यानि वायु प्रदूषण के चलते 10% शिशुओं के जन्म 40 हफ्ते की बजाय 37 हफ्ते में ही हो रहे हैं। वहीं, दूसरे ट्राइमेस्टर (3-6 महीने) के समय और आठवें महीने से पहले डिलीवरी के मामले में ओजोन का महत्वपूर्ण संबंध पाया गया। जबकि शुरुआती 3 महीने के दौरान पीएम 2.5 और पीएम 10 के संपर्क में आने वाली गर्भवती महिलाओं के 19% शिशु (भ्रूण) पूरी तरह से विकसित नहीं हो सके थे।
अध्ययन के दौरान शिशुओं का जन्म के समय वजन भी कम पाया गया। जिसके चलते भविष्य में उनके कद-काठी से लेकर श्वसन प्रक्रिया तक पर गंभीर असर पड़ना लाजिमी है। यानि वायु प्रदूषण ने गर्भवती महिलाओं और नवजात शिशुओं के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभावों में इजाफा कर दिया है। डॉ. निगम ने बताया कि गर्भवती महिलाओं पर वायु प्रदूषण के प्रभाव की जांच के लिए मां के निवास स्थान की पुष्टि की गई। इस दौरान गर्भवती महिला के अंतिम मासिक धर्म की तारीख से प्रतिदिन सुबह 7 बजे उनके पते के पास मौजूद वायु निगरानी स्टेशनों के वायु गुणवत्ता इंडेक्स डेटा का विश्लेषण किया गया।

उन्होंने कहा, अब तक उत्तरी भारत से ऐसा कोई अध्ययन प्रकाशित नहीं हुआ है जो वायु प्रदूषण के संपर्क और गर्भावस्था के साथ-साथ नवजात शिशु जन्म के परिणाम के बीच संबंध की जांच करता हो। उन्होंने कहा, हमें वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रभावी ढंग से काम करना चाहिए ताकि देश का भविष्य स्वस्थ रूप से जन्म ले सके।
क्या है परिवेशी वायु प्रदूषण ?
परिवेशी वायु प्रदूषण में प्राकृतिक और मानव निर्मित (परिवहन, उद्योग, कृषि से उत्पन्न) प्रदूषक (कण और गैसें) तत्व शामिल होते हैं। जन स्वास्थ्य के लिए सबसे गंभीर चिंताजनक प्रदूषकों में पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), ओजोन (ओ3), नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (एनओ2) और सल्फर डाइऑक्साइड (एसओ2) शामिल हैं। यह गर्भवती महिलाओं और समय से पहले जन्म और कम वजन वाले बच्चों के लिए एक नया अंतर्गर्भाशयी पर्यावरणीय विष है। जो विकासशील और विकसित देशों में शहरीकरण और औद्योगीकरण के कारण वातावरण में बढ़ता जा रहा है।
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