
नई दिल्ली/चेन्नई, 19 अक्तूबर : इंदिरा गांधी परमाणु अनुसंधान केंद्र (आईजीसीएआर), कलपक्कम ने शनिवार को फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर (एफबीटीआर) की पहली क्रिटीकेलिटी की 40वीं वर्षगांठ मनाई। जो परमाणु ऊर्जा विभाग (डीएई) के तहत दूसरा सबसे बड़ा अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान है।
इस अवसर पर भारत की परमाणु ऊर्जा में चार दशकों के नवाचार, आत्मनिर्भरता और तकनीकी उत्कृष्टता पर प्रकाश डाला गया। एफबीटीआर एक 40 मेगावाट/13.6 मेगावाट सोडियम-कूल्ड, लूप-प्रकार का फास्ट ब्रीडर रिएक्टर है जो मिश्रित प्लूटोनियम-यूरेनियम कार्बाइड कोर द्वारा संचालित होता है। एक परीक्षण सुविधा के रूप में डिजाइन किए गए इस रिएक्टर ने भविष्य के द्रुत प्रजनक रिएक्टरों के लिए ना सिर्फ आवश्यक ईंधन और संरचनात्मक सामग्रियों पर विकिरण अध्ययन का मार्ग प्रशस्त किया है। बल्कि प्रोटोटाइप फास्ट ब्रीडर रिएक्टर (पीएफबीआर) सहित भविष्य के रिएक्टरों के विकास की नींव रखने में मदद की है।
इसकी वजह से भारत में पहली बार निर्माण और कमीशनिंग के शुरुआती वर्षों में सोडियम शीतलक प्रबंधन, मिश्रित कार्बाइड ईंधन निर्माण, और द्रुत रिएक्टर प्रणालियों के लिए कठोर सुरक्षा प्रोटोकॉल स्थापित करने जैसी तकनीकों में महारत हासिल करने और उन्हें विकसित करने के अग्रणी और चुनौतीपूर्ण प्रयास सफल किए जा सके।1985 में पहली सफलता प्राप्त करने के बाद,एफबीटीआर भारत के स्वदेशी द्रुत रिएक्टर कार्यक्रम का एक प्रमुख केंद्र रहा है और परमाणु ऊर्जा में आत्मनिर्भरता की दिशा में राष्ट्र की महत्वपूर्ण खोज रहा है।
आईजीसीएआर के रिएक्टर सुविधा समूह के निदेशक एस. श्रीधर और आईजीसीएआर के निदेशक सी. जी. करहाडकर ने केंद्र की उल्लेखनीय उपलब्धियों पर प्रकाश डाला। होमी भाभा चेयर प्रोफेसर और परमाणु ऊर्जा आयोग के पूर्व अध्यक्ष और डीएई के सचिव के. एन. व्यास ने फास्ट ब्रीडर टेस्ट रिएक्टर पर एक स्मारक कॉफी टेबल बुक का विमोचन किया। उन्होंने कहा, एफबीटीआर ने प्रोटोटाइप तीव्र ब्रीडर रिएक्टर और भविष्य के तीव्र रिएक्टर विकास की नींव रखी है, जो आत्मनिर्भर परमाणु तकनीक के माध्यम से ऊर्जा सुरक्षा प्राप्त करने के लिए राष्ट्र की प्रतिबद्धता की पुष्टि करता है।