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Isha Ambani: मुकेश और ईशा अंबानी की बड़ी बाज़ी क्यों हुई फेल? शीन की री-एंट्री पर उठे सवाल

Isha Ambani:  रिलायंस रिटेल द्वारा भारत में दोबारा लॉन्च किया गया शीन ऐप उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। हाई प्राइस और लिमिटेड चॉइस के चलते कस्टमर्स हुए नाराज़। जानिए पूरी रिपोर्ट।

Isha Ambani:  रिलायंस रिटेल द्वारा भारत में दोबारा लॉन्च किया गया शीन ऐप उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका। हाई प्राइस और लिमिटेड चॉइस के चलते कस्टमर्स हुए नाराज़। जानिए पूरी रिपोर्ट।

मुकेश और Isha Ambani का सिरदर्द बना शीन! भारत में क्यों नहीं चला रिलायंस का ये बड़ा दांव?

रिलायंस रिटेल और Isha Ambani की अगुवाई में फरवरी 2025 में भारत में फिर से लॉन्च हुआ शीन ऐप उम्मीदों के विपरीत परफॉर्म कर रहा है। कस्टमर्स का कहना है कि शीन अब न तो पहले जैसा ट्रेंडी है, न ही सस्ता। हाई प्राइस, सीमित प्रोडक्ट चॉइस और कड़ी प्रतिस्पर्धा ने रिलायंस की इस कोशिश को कमजोर कर दिया है।

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Isha Ambani: क्यों फेल हो रही है शीन की री-एंट्री?

1. महंगे प्रोडक्ट्स और कम वैरायटी

पुराने शीन की पहचान सस्ते और ट्रेंडी कपड़ों से थी। अब रिलायंस के कंट्रोल में लॉन्च हुए शीन ऐप में प्राइस ज़्यादा और चॉइस कम है। लोकल मैन्युफैक्चरिंग के कारण प्रोडक्ट्स की लागत बढ़ी है, जिससे कीमतें भी बढ़ गई हैं।

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2. यूजर्स का निराशाजनक रिव्यू

गूगल प्ले और ऐपल स्टोर पर ऐप के रिव्यू में यूजर्स ने कीमत और वैरायटी को लेकर नाराज़गी ज़ाहिर की है। कई लोगों ने कहा कि पुराने शीन की तुलना में नए ऐप में न स्टाइल है, न किफायत।

3. लोकल मैन्युफैक्चरिंग का असर

भारत सरकार के नियमों के अनुसार इस बार शीन की पूरी मैन्युफैक्चरिंग लोकल फैक्ट्रियों से की जा रही है। इससे टेक्सटाइल सेक्टर को बढ़ावा मिला, लेकिन कस्टमर को इसका मूल्य चुकाना पड़ा।

Isha Ambani: अमेजन-फ्लिपकार्ट से मुकाबला मुश्किल क्यों?

1. 60% मार्केट पर इनका कब्जा

भारतीय ई-कॉमर्स बाजार का 60% हिस्सा अमेजन और फ्लिपकार्ट के पास है। इन दोनों प्लेटफॉर्म्स की सस्ती कीमत, तेज़ डिलीवरी और विशाल वैरायटी ने शीन को पीछे छोड़ दिया।

2. मिंत्रा और अमेजन की फास्ट सर्विस

फ्लिपकार्ट की मिंत्रा और अमेजन की पॉपुलर सर्विस के सामने रिलायंस की डिलीवरी और यूजर इंटरफेस अभी भी पिछड़ा हुआ है।

Isha Ambani: क्या रही रिलायंस की रणनीति?

  • AI तकनीक का इस्तेमाल: रिलायंस ने शीन के AI और इन्वेंट्री मैनेजमेंट का भारत में इस्तेमाल किया, लेकिन यह रणनीति भी फ्लॉप साबित हुई।

  • डेटा लोकलाइजेशन: शीन का डेटा भारत में स्टोर किया गया है, और कंपनी को इसका एक्सेस नहीं है। यह कदम सरकार की अनुमति के बाद उठाया गया।

  • MSME सहयोग: लोकल MSMEs के साथ साझेदारी की गई जिससे टेक्सटाइल सेक्टर को फायदा हो, लेकिन कीमतें बढ़ने लगीं।

क्या शीन का फेल होना स्थायी है?

शीन की री-एंट्री से यह साफ है कि केवल टेक्नोलॉजी या ब्रांड नेम से काम नहीं चलता। भारतीय ग्राहक सस्ते, ट्रेंडी और वैरायटी से भरपूर विकल्प चाहते हैं। अगर रिलायंस इन पहलुओं पर काम नहीं करता, तो Isha Ambani और मुकेश अंबानी की यह रणनीति एक असफल प्रयोग बन सकती है।

ममूटी ने कहा कि उन्हें ‘मेगास्टार’ की उपाधि पसंद नहीं है, उन्हें लगता है कि उनके जाने के बाद लोग उन्हें याद नहीं रखेंगे

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