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मोहल्ला क्लिनिक में 40 रूपये प्रति मरीज भुगतान योजना पर बंटे डॉक्टर

- कुछ डॉक्टर बोले- मानक वेतन और इंसेंटिव मिले तो कुछ ने कहा 4 हजार दैनिक तक कमाने का मिलेगा अवसर

नई दिल्ली, 30 जुलाई : अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सुर्खियां बटोरने वाला राजधानी दिल्ली का मोहल्ला क्लिनिक आजकल फिर चर्चा में है। वजह है मोहल्ला क्लिनिक के लिए एमबीबीएस स्तर के डॉक्टरों की भर्ती और उनके पारिश्रमिक का मुद्दा। दरअसल, दिल्ली सरकार के विज्ञापन में मोहल्ला क्लिनिकों में मरीजों का इलाज करने के एवज में एमबीबीएस डॉक्टरों को 40 रुपये प्रति मरीज की दर से भुगतान करने की बात कही गई है, जिसे लेकर डॉक्टर समुदाय और प्रमुख मेडिकल संगठन बंटे हुए नजर आ रहे हैं।

इस संबंध में फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन (फोर्डा) के अध्यक्ष डॉ अविरल माथुर ने कहा कि मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टरों को मरीज का इलाज करने के एवज में 40 रुपये प्रति मरीज की दर से भुगतान किया जाना उचित नहीं है। डॉक्टरों को उनके अनुभव और योग्यता के आधार पर मासिक वेतन मिलना चाहिए। इसके अलावा, जिस मोहल्ला क्लीनिक में इलाज कराने वाले मरीजों की संख्या औसत से ज्यादा हो वहां तैनात डॉक्टर को इंसेंटिव देकर प्रोत्साहित करना चाहिए।

वहीं, फेडरेशन ऑफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (फाइमा) के अध्यक्ष डॉ रोहन कृष्णन ने कहा कि मोहल्ला क्लिनिक सरकार की हिट योजना है। इससे मरीज और डॉक्टर दोनों लाभान्वित हो रहे हैं। लेकिन डॉक्टर भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी बेहद जरुरी है क्योंकि भर्ती के दौरान डॉक्टरों से पैसे मांगने की शिकायतें भी मिलती रहती हैं। उन्होंने कहा, अगर 40 रुपये प्रति मरीज पारिश्रमिक की बात की जाए तो एक मोहल्ला क्लिनिक में एक डॉक्टर औसतन 100 मरीज रोज देखता है। ऐसे में उसे 4 हजार रुपये दैनिक आय होती है। कहीं -कहीं इन मरीजों की संख्या दो सौ से तीन सौ तक भी होती है। ऐसे में डॉक्टर की दैनिक आय आठ से 12 हजार तक हो सकती है। उन्होंने कहा, डॉक्टर भर्ती प्रक्रिया पारदर्शिता और ईमानदारी से संपन्न होनी चाहिए। क्योंकि कई बार भर्ती के लिए पैसे मांगने जैसी घटनाएं सामने आती रहती हैं।

उधर, दिल्ली मेडिकल काउन्सिल (डीएमसी) के अध्यक्ष डॉ अरुण गुप्ता ने कहा कि 40 रुपये प्रति मरीज भुगतान योजना काफी प्रभावी है। फिलहाल, मोहल्ला क्लिनिक के डॉक्टरों को एक से डेढ़ लाख रुपये तक का चेक हर महीने मिल रहा है। इस योजना के तहत मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर अपने मेडिकल ज्ञान के साथ व्यावहारिक कौशल का भी इस्तेमाल करेंगे। इससे जहां मरीज को अच्छे और कुशल व्यवहार के संग इलाज की सुविधा मिल सकेगी। वहीं, मरीजों की संख्या में भी इजाफा हो सकेगा। अंततः लाभ डॉक्टर को ही मिलेगा।

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