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नई दिल्ली: पोषण से आएगी खुशहाली, दूर होगी पाचन तंत्र की बदहाली

नई दिल्ली: -विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस पर विशेषज्ञों ने पेट संबंधी समस्याओं को लेकर किया जागरूक

नई दिल्ली, 27 मई : ‘पेट सही तो सब सही’- यह एक आम कहावत है जो पाचन तंत्र (पेट) के महत्व को दर्शाती है। अगर आपका पेट ठीक से काम करता है, तो खाना खाने के बाद शरीर को ना सिर्फ पर्याप्त ऊर्जा और पोषक तत्व मिलते हैं, बल्कि व्यक्ति स्वयं को स्वस्थ और ऊर्जावान महसूस करता है। लेकिन जब ये खाना पौष्टिक नहीं होता तब पाचन तंत्र गड़बड़ा जाता है।

 

यह जानकारी सफदरजंग अस्पताल के सामुदायिक चिकित्सा विभाग के प्रोफेसर डॉ. जुगल किशोर ने विश्व पाचन स्वास्थ्य दिवस (29 मई) की पूर्व संध्या पर दी। उन्होंने कहा, इस दिन का उद्देश्य पाचन स्वास्थ्य के महत्व को उजागर करना, पाचन संबंधी समस्याओं के बारे में जागरूकता बढ़ाना और स्वस्थ पाचन के लिए जीवनशैली में बदलाव लाने के बाबत लोगों को शिक्षित करना है। उन्होंने कहा, देश में 30% से 40% लोग पाचन संबंधी समस्याओं से पीड़ित हैं। इनके दैनिक भोजन में प्रिजर्वेटिव वाले बाजार के खाने शामिल होने के कारण मेटल और केमिकल जैसे पदार्थ शरीर में प्रवेश कर जाते हैं। जिससे पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचता है।

प्रो. जुगल किशोर ने कहा, अच्छी सेहत के लिए नियमित रूप से और समय से भोजन करें। ब्रेकफास्ट, लंच या डिनर स्किप ना करें, जितनी भूख है उससे कम खाएं। शराब -तंबाकू का सेवन ना करें, नियमित व्यायाम करें। पौष्टिक आहार विकल्पों को अपनाएं और अपनी जीवन शक्ति व जीवन की गुणवत्ता में इजाफा करें। यानि अच्छे पोषण से ही जीवन में खुशहाली लाई जा सकती है जो इस वर्ष के पाचन स्वास्थ्य दिवस की थीम भी है।

एम्स दिल्ली के गैस्ट्रोएंट्रोलॉजी विभाग के प्रोफेसर डॉ. शालीमार ने कहा कि अक्सर लोग घर से बाहर होने की स्थिति में कुछ भी खा लेने के आदी होते हैं। अगर कुछ मीठा मिल गया तो मीठा खा लिया, नहीं तो जंक फूड खा लिया। या फिर चाट-पकौड़ी, गोलगप्पे व अन्य तेल -मसाले वाली चीजें खा ली। इनसे पेट तो भर जाता है लेकिन पाचन तंत्र डिस्टर्ब हो जाता है। चूंकि उक्त प्रकार के भोजन में मौजूद शुगर, तेल और मसाले शरीर में चले जाते हैं। नतीजतन पेट दर्द होना, गैस बनना, पेट फूलना, खूनी पेचिश और दस्त होना जैसी समस्याएं उत्पन्न होने लगती हैं। वहीं कैलोरी की मात्रा बढ़ने से शरीर मोटा हो जाता है।

डॉ शालीमार ने कहा, पाचन तंत्र को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए हमेशा घर का बना अच्छा खाना खाएं, बाजार का तला-भुना मसालेदार खाना ना खाएं, पौष्टिक आहार विकल्पों को अपनाएं। बाहर मिलने वाला पानी न पिएं। आरओ या क्लोरीन से फिल्टर किया हुआ या उबालकर ठंडा किया हुआ पानी पिएं। घर से बाहर निकलें तो पानी साथ लेकर निकलें। गंदे पानी से हेपेटाइटिस, टाइफाइड, हैजा और गैस्ट्रो इंटरटाइटिस जैसे रोग हो सकते हैं। उन्होंने कहा, पेट संबंधी समस्या होने पर खुद इलाज ना करें। डॉक्टर से संपर्क करें। अगर बुखार है तो क्रोसिन ले सकते हैं। इसके अलावा कोई दवा स्वयं ना लें।

भोजन में कार्ब, ऑयल, प्रोटीन हो कितना ?
अच्छे स्वास्थ्य के लिए पौष्टिक भोजन जरुरी है जिसमें 60% कार्बोहाइड्रेट, 20% से 25% वसा और शेष प्रोटीन होना चाहिए। कार्ब की पूर्ति के लिए मक्का, बाजरा, गेहूं और ज्वार मिश्रित आटे का सेवन करें। चावल और आलू भी ले सकते हैं। वसा के लिए पॉली अनसैचुरेटेड फैट लें , ट्रांस फैट न लें। सूरजमुखी का तेल फायदेमंद है। इसके अलावा मूंगफली और सरसों का तेल व देसी घी ले सकते हैं। वहीं प्रोटीन के तौर पर दालें, डेयरी उत्पाद, अंडे, चिकन और मटन ले सकते हैं।

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