मां- शिशु नर्सरी का कमाल, शिशु जीवन प्रत्याशा में आया उछाल
-सफदरजंग अस्पताल में एम-एनआईसीयू सुविधा के चलते नवजात शिशु मृत्यु दर में आई 20 फीसद कमी
नई दिल्ली, 10 मई: सफदरजंग अस्पताल में मां-नवजात शिशु गहन देखभाल इकाई (एम -एनआईसीयू) या अत्याधुनिक नर्सरी की शुरुआत होने से नवजात शिशुओं के जीवन प्रत्याशा में महत्वपूर्ण सुधार आया है, जिसके चलते शिशु मृत्यु दर करीब 35 फीसद से घटकर करीब 20 फीसद हो गई है। यह जानकारी बाल रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ रतन गुप्ता ने शुक्रवार को दी।
उन्होंने कहा कि सफदरजंग अस्पताल में जन्म लेने वाले नवजात शिशुओं के संक्रमित या गंभीर रूप से बीमार होने पर नर्सरी में भर्ती होने की व्यवस्था पिछले 70 साल से अस्तित्व में है लेकिन अस्पताल से बाहर जन्म लेने वाले शिशुओं को बीमारी की हालत में भर्ती करने की व्यवस्था नहीं थी जिसके चलते अनेक गरीब और जरूरतमंद लोग अपने बीमार शिशु का उपचार नहीं करा पाते थे। इस परेशानी के मद्देनजर केंद्र सरकार के डीजीएचएस डॉ अतुल गोयल और सफदरजंग अस्पताल की चिकित्सा अधीक्षक डॉ वंदना तलवार के प्रयासों से अस्पताल में आउटबोर्न एम – एनआईसीयू स्थापित की गई है। इस यूनिट में 40 बेड और 40 पालना की सुविधा के साथ बाहरी शिशु मरीजों व उनकी मांओं को भी इलाज के लिए भर्ती किया जा रहा है।
डॉ गुप्ता ने कहा कि आउटबोर्न एम -एनआईसीयू में प्रतिमाह लगभग 150 नवजात शिशु इलाज के लिए आते हैं। जो समय से पहले जन्म लेने, वजन कम होने या संक्रमण होने के चलते गंभीर रूप से बीमार होते हैं। इन बीमार शिशुओं में से 50 फीसद यूपी, हरियाणा, राजस्थान और बिहार के विभिन्न अस्पतालों से और 50 फीसद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के अस्पतालों से रेफर होते हैं। उन्होंने बताया, गंभीर रूप से बीमार शिशुओं को इनक्यूबेटर वार्मर, वेंटिलेटर से सुसज्जित अत्याधुनिक नर्सरियों में रखा जाता है। शिशु के पालने के साथ ही नवजात की मां का बेड होता है। वह शिशु के इलाज के दौरान वहीं रहती है। इस बीच वह शिशु को अपना दूध पिलाने के साथ कंगारू मातृ देखभाल (केएमसी) भी प्रदान करती है। इस दौरान बीमार शिशु की मां को खाना -पीना, चाय -नाश्ता आदि सुविधा अस्पताल की ओर से मुफ्त दी जाती है। डॉ गुप्ता ने कहा, एम – एनआईसीयू सुविधा और केएमसी प्रक्रिया से शिशु के उपचार में काफी मदद मिली है जिससे मृत्यु दर में करीब 20 फीसद तक कमी आई है।
क्या है कंगारू मदर केयर
केएमसी या कंगारू मदर केयर में नवजात शिशु की मां कंगारू की तरह अपने बच्चे की त्वचा से अपनी त्वचा का संपर्क कराती है जो नवजात शिशु की वृद्धि और विकास में मदद करती है। साथ ही बच्चे को स्तनपान भी कराती है।
ढाई किलो से कम वजन के शिशुओं के लिए केएमसी अनिवार्य
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने 2500 ग्राम से कम वजन के सभी नवजात शिशुओं के लिए देश के तमाम अस्पतालों में निर्माणाधीन बाल चिकित्सा विभाग में एम-एनआईसीयू और केएमसी यूनिट की स्थापना अनिवार्य कर दी है। हाल ही में बांग्लादेश, इथियोपिया और नाइजीरिया के स्वास्थ्य अधिकारियों ने सफदरजंग अस्पताल की मां -शिशु गहन चिकित्सा इकाई का दौरा किया और अपने देश में ऐसी ही यूनिट स्थापित करने के लिए दिलचस्पी दिखाई।