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कियोस्क के फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट से आवासीय भूखंड योजना में कोटा किया हासिल

कियोस्क के फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट से आवासीय भूखंड योजना में कोटा किया हासिल

अमर सैनी

नोएडा। नोएडा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा बनने के बाद से ज़ेवर और यमुना प्राधिकरण क्षेत्र की ज़मीनों के दाम आसमान छू रहे हैं। ज़मीन की बढ़ती कीमतों के चलते हर कोई यमुना सिटी में भूखंड हासिल करने की होड़ में लगा है। इस अवसर का लाभ उठाते हुए यमुना प्राधिकरण के कुछ अधिकारी और कर्मचारी घोटालों को अंजाम दे रहे हैं। हाल ही में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन में एक बड़ा घोटाला सामने आया था, और अब एक नया मामला प्रकाश में आया है।
यमुना प्राधिकरण ने पिछले वर्षों के दौरान छोटी वाणिज्यिक गतिविधियों के लिए कमर्शियल प्लॉट आवंटित किए थे। हालांकि, जमीनी हकीकत यह है कि इन प्लॉट्स पर कोई निर्माण या गतिविधि नहीं हो रही है। इसके बावजूद, प्राधिकरण के अधिकारियों ने आवंटियों के साथ मिलकर इन प्लॉट्स को फंक्शनल दिखा दिया, जिससे उन्हें आगामी 10 अक्टूबर को होने वाले आवासीय भूखंड योजना के ड्रॉ में कोटा मिलने की योग्यता मिल गई। प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) डॉक्टर अरुणवीर सिंह को जब इस फर्जीवाड़े की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत इस मामले की जांच के आदेश दिए हैं।
यमुना प्राधिकरण ने सेक्टर-17, सेक्टर-22, सेक्टर-32 और अन्य क्षेत्रों में फल, सब्ज़ी, दूध और चाय की दुकानें खोलने के लिए साढ़े सात वर्ग मीटर के भूखंड आवंटित किए थे। प्राधिकरण के नियमों के अनुसार, वाणिज्यिक गतिविधियां संचालित करने वाले आवंटियों को आवासीय भूखंड योजनाओं में कोटा मिलता है। इस नियम का गलत फायदा उठाने के लिए कुछ अधिकारियों और आवंटियों ने मिलकर साजिश रची।

इन 10 कियोस्क आवंटियों ने कोटे की मांग
जिन लोगों को फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट जारी किए गए, उनमें अतुल आर गुप्ता एंड एसोसिएट्स, रिया कौशिक, अंकित गुप्ता, रजत कौशिक, मयंक गुप्ता, गोपेश शर्मा, कृष्ण कुमार अग्रवाल, आस मोहम्मद, शैलेंद्र गुप्ता, और नंदनी गर्ग शामिल हैं। इन सभी ने आवासीय भूखंड योजना में आवेदन किए हैं और कमर्शियल एलॉटी के रूप में आरक्षण की मांग की है। प्राधिकरण को शक है कि इन आवंटियों का आपस में रिश्ता है। इसलिए, इनके पहले किए गए आवंटनों की भी जांच की जाएगी।

अब आगे जांच और कार्रवाई कैसे होगी
इन फर्जी फंक्शनल सर्टिफिकेट को जारी करने वाली फ़ाइल पर प्राधिकरण के वैयक्तिक सहायक, प्रबंधक सिद्धार्थ चौधरी, उप महाप्रबंधक वित्त राजेश कुमार, और ओएसडी के हस्ताक्षर हैं। डॉक्टर अरुणवीर सिंह ने स्पष्ट किया है कि इन सभी अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी जांच शुरू हो गई है, और जांच रिपोर्ट आते ही कानूनी और विभागीय कार्रवाई की जाएगी। यमुना प्राधिकरण में इस तरह का घोटला पहली बार सामने नहीं आया है, लेकिन इस बार सीईओ द्वारा त्वरित कार्रवाई से उम्मीद है कि दोषियों को जल्द सजा मिलेगी और प्राधिकरण में पारदर्शिता को बढ़ावा मिलेगा।

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