
Karva Chauth Special: करवा चौथ पर एस्ट्रोलॉजर पंडित बृजेश मिश्रा ने प्रेम के प्रतीक पावन व्रत का महत्व बताया
रिपोर्ट: हेमंत कुमार
ज्योतिषाचार्य पंडित बृजेश मिश्रा ने करवा चौथ के महत्व और इस व्रत की परंपराओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि करवा चौथ का व्रत भारतीय संस्कृति में विवाहित महिलाओं के लिए विशेष पावन पर्व माना जाता है। इस दिन सभी सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु, स्वस्थ जीवन और समृद्धि के लिए व्रत रखती हैं। यह व्रत न केवल पति-पत्नी के रिश्ते की मजबूती और प्रेम को दर्शाता है, बल्कि परिवार की सुख-शांति और समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
इस बार करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर 2024 को मनाया जाएगा। पंडित मिश्रा के अनुसार, करवा चौथ का शुभ मुहूर्त शाम 4:30 बजे से लेकर 6:00 बजे तक रहेगा, जो पूजा और अन्य धार्मिक अनुष्ठानों के लिए उत्तम समय है। उन्होंने बताया कि चंद्रमा का उदय रात 8:35 बजे होगा, और इस समय पर महिलाएं चंद्रमा को देखकर अपने व्रत का समापन करती हैं। परंपरा के अनुसार, चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं अपने पति के हाथों से जल ग्रहण करती हैं और तब अपना व्रत तोड़ती हैं।
करवा चौथ का यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था से जुड़ा हुआ है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच प्रेम और समर्पण का प्रतीक भी है। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करके, करवा चौथ की कथा सुनती हैं और अपनी पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं। इस व्रत को लेकर विभिन्न प्रकार की धार्मिक मान्यताएं और परंपराएं हैं, जो सदियों से भारतीय समाज में चली आ रही हैं। पंडित बृजेश मिश्रा ने कहा कि करवा चौथ का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान ही नहीं है, बल्कि यह पति-पत्नी के बीच एक अटूट बंधन को भी दर्शाता है।