भारत

‘कोवैक्सीन’ पर बीएचयू के अध्ययन को आईसीएमआर ने नकारा

-डीजी राजीव बहल बोले-स्टडी पेपर में गलत और भ्रामक रूप से दिया गया आईसीएमआर का नाम

नई दिल्ली, 20 मई: कोरोना महामारी पर नियंत्रण के बाबत स्वदेश में विकसित ‘कोवैक्सीन’ के प्रभाव को लेकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) की ओर से किया गया अध्ययन विवाद में आ गया है। बीएचयू के दो प्रोफेसरों द्वारा संपन्न अध्ययन में दावा किया गया है कि देश में भारत बायोटेक के कोविड रोधी टीके ‘कोवैक्सीन’ लगवाने वाले लगभग एक-तिहाई व्यक्तियों को स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। यही नहीं अध्ययन में भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की अनुमति के बिना उसका नाम इस्तेमाल करके अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अध्ययन की विश्वसनीयता स्थापित करने की भी कोशिश की गई है।

इस संबंध में प्रकाशित एक रिपोर्ट सामने आने के बाद आईसीएमआर के महानिदेशक राजीव बहल ने पत्र लिखकर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के प्रोफेसर को चेतावनी दी है और अध्ययन में शामिल दोनों प्रोफेसर से पूछा है, क्यों न आपके खिलाफ कानूनी और प्रशासनिक कार्रवाई की जाए। पत्र में बीएचयू के फार्माकोलॉजी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर उपिंदर कौर और जरा चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉक्टर सांखा सुभ्रा चक्रवर्ती से जवाब मांगा गया है। साथ ही कहा है कि जब आईसीएमआर वैज्ञानिक रूप में या किसी भी अन्य रूप में अध्ययन से जुड़ा नहीं है तो फिर अध्ययन में आईसीएमआर का जिक्र क्यों किया गया है। टीके के सुरक्षा विश्लेषण को लेकर किए गए अध्ययन में कई खामियां हैं। डॉ. बहल ने लिखा, हमने यह भी देखा है कि आपने बिना अनुमति के इसी तरह के पिछले पेपरों में भी आईसीएमआर का नाम दिया है।

क्या है पूरा मामला?
दरअसल, कोविड रोधी टीके ‘कोवैक्सीन’ को लेकर बीएचयू में शोधकर्ताओं की एक टीम ने 926 लोगों पर एक साल तक अध्ययन किया था जिसमें 635 किशोर और 291 व्यस्क शामिल थे। इसमें ‘कोवैक्सीन’ टीके से स्वास्थ्य समस्या होने की बात कही गई थी जिसमें 50% लोगों ने टीके लगने के बाद संक्रमण होने और लगभग एक-तिहाई लोगों ने एक साल बाद तक कई दुष्प्रभाव होने की शिकायत की है। वहीं, शोध को स्प्रिंगर नेचर में छापा गया था। इसमें टीके लगने के बाद उत्पन्न समस्याओं को एईएसआई यानी एडवर्स इवेंट्स ऑफ़ स्पेशल इंटरेस्ट के तौर पर बताया गया था।

आईसीएमआर ने ड्रग सेफ्टी जर्नल को लिखा पत्र
आईसीएमआर ने न्यूजीलैंड के ऑकलैंड स्थित ड्रग सेफ्टी जर्नल के संपादक को पत्र लिखा है कि वह बीएचयू के लेखकों द्वारा हाल ही में प्रकाशित कोवैक्सिन साइड इफेक्ट्स अध्ययन को वापस ले ले क्योंकि स्टडी पेपर में भारत के शीर्ष अनुसंधान निकाय का नाम गलत और भ्रामक रूप से दिया गया है। पत्र के मुताबिक आईसीएमआर न तो इस अध्ययन से जुड़ा है और न ही अनुसंधान के लिए कोई वित्तीय या तकनीकी सहायता प्रदान है।

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