जीटीबी अस्पताल में डॉक्टरों की हड़ताल खत्म
-सुरक्षा के लिहाज से अस्पताल में पैनिक कॉल बटन की होगी व्यवस्था, बाउंसरों की भी होगी तैनाती
नई दिल्ली, 10 जुलाई : गुरुतेग बहादुर अस्पताल में तोड़फोड़ और डॉक्टरों के साथ हिंसा करने वालों के खिलाफ संस्थागत एफआईआर दर्ज होने के साथ ही डॉक्टरों ने बुधवार को अपनी हड़ताल समाप्त कर दी। इस संबंध में दिन भर चली बैठक और उसके आधिकारिक मिनट्स की प्रति मिलने के बाद ही जीटीबी अस्पताल के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने हड़ताल खत्म करने और काम पर लौटने की घोषणा की।
दरअसल, मंगलवार को जीटीबी अस्पताल में प्रसव के बाद एक महिला मरीज की मौत से गुस्साए परिजनों और अन्य (करीब 50 से ज्यादा) लोगों की भीड़ ने स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में कार्यरत डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ पर हमला कर दिया था। इस दौरान स्वास्थ्य कर्मियों के साथ अभद्रता व हिंसा होने की बात भी सामने आई थी। विभाग के डॉक्टर कक्ष का दरवाजा भी तोड़ दिया गया था। लिहाजा, इस घटना से सहमे और नाराज जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों ने मंगलवार को ओपीडी व अन्य चिकित्सा सेवाओं को ठप कर दिया था। बुधवार को भी डॉक्टर हड़ताल पर रहे।
इस दौरान अस्पताल के विभिन्न वार्डों में भर्ती मरीजों के इलाज की प्रक्रिया और ऑपरेशन थिएटर में होने वाली करीब 40 सर्जरी की प्रक्रिया भी बाधित रही। यही नहीं, पूर्वी दिल्ली, गाजियाबाद, साहिबाबाद, लोनी, वसुंधरा समेत आस- पास के इलाकों से इलाज के लिए रोजाना अस्पताल आने वाले 8 से 10 हजार मरीजों को भी काम रोको हड़ताल के प्रभाव का सामना करना पड़ा। हालांकि, मरीजों की सुविधा और चिकित्सा सेवाओं को सुचारु बनाने के लिए अस्पताल प्रशासन ने सहायक प्रोफेसर, अतिरिक्त प्रोफेसर और सह प्रोफेसर से लेकर प्रोफेसर स्तर के डॉक्टरों एवं कंसलटेंट डॉक्टरों को ओपीडी में तैनात किया था। मगर, वार्ड और ओटी की सेवाएं पूरी तरह प्रभावित रहीं।
जीटीबी अस्पताल के आरडीए के अध्यक्ष डॉ नितेश कुमार ने कहा कि हम अपने समुदाय की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। हथियारों से लैस भीड़ के हमले की घटना से डॉक्टरों व अन्य स्वास्थ्य कर्मचारियों में भय व्याप्त है जिसे दूर करने के लिए अस्पताल के हॉटस्पॉट एरिया में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम होने जरुरी हैं। इस संबंध में अस्पताल प्रशासन ने हमारी नौ सूत्रीय मांगों को मान लिया है। इनमें अस्पताल में पैनिक कॉल बटन की व्यवस्था करने से लेकर बाउंसरों की तैनाती करने तक की मांग भी शामिल हैं। अब सभी जूनियर और सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर काम पर लौट आए हैं और जनसेवा में संलग्न हो चुके हैं। डॉ कुमार ने कहा , डॉक्टरों की सुरक्षा मामले को लेकर एमडी के साथ वीरवार को भी एक बैठक होनी तय हुई है।
अस्पताल प्रशासन ने मानी डॉक्टरों की सभी मांग
डॉक्टरों की हड़ताल का मामला सुलझाने के लिए बुधवार को जीटीबी अस्पताल की चिकित्सा निदेशक डॉ. ए.एम. राठौड़ ने एक बैठक का आयोजन किया। जिसमें यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज (यूसीएमएस) के प्रिंसिपल डॉ. अरुण शर्मा, आरडीए अध्यक्ष डॉ नितेश कुमार, स्थानीय एसीपी और सुरक्षा गार्ड प्रदान करने वाली एजेंसियों के साथ नर्सिंग यूनियन के प्रतिनिधियों समेत 17 लोगों ने भाग लिया। इस दौरान अस्पताल प्रशासन ने डॉक्टरों की नौ सूत्रीय मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया और इस संबंध में जरुरी व्यवस्थाओं को जल्द से जल्द विकसित करने की बात कही।