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Ground Report: दिल्ली के ऐतिहासिक चिल्ला गांव में भीषण जल संकट: 40 डिग्री ताप में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

Ground Report: दिल्ली के ऐतिहासिक चिल्ला गांव में भीषण जल संकट: 40 डिग्री ताप में बूंद-बूंद पानी को तरस रहे लोग

रिपोर्ट: रवि डालमिया

पूर्वी दिल्ली के नोएडा बॉर्डर से सटे ऐतिहासिक चिल्ला गांव में इन दिनों भीषण जल संकट गहराया हुआ है। लगभग 500 साल पुराने इस गांव में आज भी बुनियादी सुविधा — साफ पीने का पानी — एक सपना बना हुआ है। तेज गर्मी और 40 डिग्री सेल्सियस के तापमान में यहां के लोग हर दिन पानी के एक-एक टैंकर के लिए घंटों लंबी कतारों में खड़े रहने को मजबूर हैं। गांव की करीब 30,000 की आबादी में से 90% से अधिक लोग दिल्ली जल बोर्ड के टैंकर और महंगे फिल्टर बोतल वाले पानी पर निर्भर हैं।

टॉप स्टोरी की ग्राउंड रिपोर्ट में सामने आया कि सुबह जब देश के अन्य हिस्सों में लोग अपने रोजमर्रा के काम जैसे स्नान, पूजा-पाठ और सफाई में व्यस्त होते हैं, उस समय चिल्ला गांव के लोग अपने बर्तनों के साथ टैंकर की राह ताकते हुए नजर आते हैं। जिन परिवारों को टैंकर का पानी मिल जाता है, वे दिनभर उसी में अपनी जरूरतें पूरी करने की कोशिश करते हैं, जबकि कई लोगों को खाली हाथ लौटना पड़ता है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि पानी की यह समस्या कोई नई नहीं है। वे वर्षों से इसी तरह की तकलीफें झेलते आ रहे हैं। एक महिला निवासी बताती हैं, “हमें बर्तन धोने और पीने का पानी भी बहुत मुश्किल से मिलता है। कई बार तीन-तीन दिन तक नहाना तक मुमकिन नहीं होता। लेकिन हमारी कोई सुनवाई नहीं होती।” गांव के बुजुर्गों का कहना है कि आज तक किसी भी राजनेता ने इस मुद्दे को प्राथमिकता नहीं दी। चुनाव के समय वादे होते हैं कि पाइपलाइन बिछेगी, पानी की सप्लाई शुरू होगी, लेकिन मतदान खत्म होते ही सब भूल जाते हैं।

गौर करने वाली बात यह है कि चिल्ला गांव दिल्ली के बेहद करीब है और देश की राजधानी में शामिल होने के बावजूद यहां के लोग अब भी जल संकट जैसी बुनियादी समस्या से जूझ रहे हैं। सरकार की ‘हर घर जल’ जैसी योजनाएं यहां ज़मीनी हकीकत से बहुत दूर नज़र आती हैं।स्थानीय समाजसेवी और युवाओं ने अब इस मुद्दे को लेकर जागरूकता फैलाने की ठानी है। वे जल्द ही जल संकट पर हस्ताक्षर अभियान और प्रशासन को ज्ञापन सौंपने की योजना बना रहे हैं। चिल्ला गांव के निवासी अब सिर्फ पानी नहीं, बल्कि अपने मौलिक अधिकार की मांग कर रहे हैं — जीने के लिए ज़रूरी एक-एक बूंद की।

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