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राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने वाइस चांसलरों की कांफ्रेंस में की शिरकत

राज्यपाल व मुख्यमंत्री ने वाइस चांसलरों की कांफ्रेंस में की शिरकत

विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर आम आदमी को सशक्त बनाने में अहम भूमिका निभाओ: मुख्यमंत्री भगवंत मान

– पंजाब राज्य भवन में वाइस चांसलरों को किया संबोधित

– अधिक सफल व्यक्ति तैयार करने की जिम्मेदारी सिर्फ वाइस चांसलरों की है

– इस अनुकरणीय पहल के लिए राज्यपाल की सराहना की

– शिक्षा के क्षेत्र में पंजाब देश का अग्रणी राज्य
– राज्यपाल ने राज्य में शिक्षा क्षेत्र को प्रोत्साहित करने की पहल के लिए मुख्यमंत्री की प्रशंसा की
– ऐसी कांफ्रेंस वर्ष में दो बार करवाने की वकालत की

रिपोर्ट : कोमल रमोला
चंडीगढ़, 11 अक्टूबर:

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शिक्षाविदों से आह्वान किया कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देकर आम आदमी को अधिक सशक्त बनाने के लिए सक्रिय भूमिका निभाएं।

पंजाब राज्य भवन में वाइस चांसलरों की कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि आज यहां उपस्थित सभी शिक्षाविद अपनी कड़ी मेहनत, समर्पण और प्रयासों से अपने क्षेत्र में सफल हुए हैं, लेकिन अब आपकी जिम्मेदारी बनती है कि आप अपने जैसे और भी हीरे तराशें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में कुल 40 विश्वविद्यालय हैं और यह गर्व और संतोष की बात है कि इन विश्वविद्यालयों के वाइस चांसलर यहां इस कॉन्फ्रेंस के लिए एकत्र हुए हैं। उन्होंने कॉन्फ्रेंस आयोजित करने के लिए पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया की सराहना करते हुए कहा कि इससे पंजाब में उच्च शिक्षा में और सुधार लाने में मदद मिलेगी। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब सरकार उच्च शिक्षा में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में दो प्रमुख विश्वविद्यालय हैं, जिनमें 40,000 से अधिक विद्यार्थी पढ़ते हैं। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों की खराब नीतियों के कारण बड़ी संख्या में विद्यार्थियों का रुझान विश्वविद्यालयों से हट गया था। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार के प्रयासों से विदेश जाने के रुझान में कमी आई है और अब पंजाब की विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में दाखिलों का बाढ़ आ गया है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब के विश्वविद्याल विश्वस्तरीय बुनियादी ढांचे से सुसज्जित हैं और पंजाब के 43 कॉलेज नैक से मान्यता प्राप्त हैं, जिनमें से तीन कॉलेजों को ए ग्रेड मिला हुआ है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पहले ही स्कूल प्रणाली में करियर मार्गदर्शन पर जोर दे रही है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य के स्कूलों में बिज़नेस ब्लास्टर्स योजना पहले से ही चल रही है ताकि भविष्य के उद्यमी तैयार किए जा सकें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने गांवों में पुस्तकालय खोले हैं, जिन्हें ए.सी. और इंटरनेट जैसी सुविधाओं से लैस किया गया है। इन पुस्तकालयों में पाठ्यक्रम के साथ-साथ विश्व स्तर की पुस्तकें भी उपलब्ध हैं। विश्व भर में टिशू कल्चर के क्षेत्र में प्रसिद्ध पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वाइस चांसलर का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अब विश्वविद्यालयों के प्रमुख के रूप में प्रतिष्ठित शिक्षाविदों को नियुक्त किया जा रहा है, जो पहले राजनीतिक बाधाओं के कारण नहीं हो पाते थे। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इसका एकमात्र उद्देश्य विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षा को प्रोत्साहित करना है ताकि छात्रों को बड़े पैमाने पर लाभ हो।

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बेहतर परिणामों के लिए चार विभागों कृषि, शिक्षा, वित्त और पुलिस में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस शुरू करने पर विचार कर रही है। उन्होंने बताया कि राज्य सरकार पहले ही मरम्मत के लिए सड़कों के माप के लिए ए.आई. लागू कर चुकी है, जिसके परिणाम चौंकाने वाले रहे हैं। उन्होंने कहा कि ए.आई. के माध्यम से यह पता चला है कि लगभग चार हज़ार किलोमीटर सड़क का नेटवर्क केवल कागजों तक ही सीमित था।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हर तकनीक के फायदे और नुकसान होते हैं, लेकिन विश्वविद्यालयों को ए.आई. आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुख्य जोर छात्रों की ग्रेडिंग के बजाय उनकी योग्यता पर होना चाहिए। मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व भर में पंजाब ही एकमात्र ऐसा राज्य है जिसके निवासियों ने पूरी दुनिया में अपने व्यवसाय स्थापित किए हैं और हर देश में पंजाबियों का प्रभाव है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाबियों में कड़ी मेहनत और अद्वितीय कार्य करने की भावना है, जिसके कारण उन्होंने दुनिया में अपना महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। उन्होंने कहा कि यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि बोइंग में 5 प्रतिशत इंजीनियर गुरु नानक इंजीनियरिंग कॉलेज, लुधियाना से हैं, जबकि फ्लिपकार्ट, ओला, मास्टरकार्ड और अन्य कंपनियों के सी.ई.ओ. भी पंजाबी हैं। भगवंत सिंह मान ने कौशल विकास की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि व्यावहारिक और सैद्धांतिक ज्ञान के बीच संपूर्ण संतुलन बनाए रखना चाहिए।

मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि इन छात्रों को महान क्षमताएं और योग्यताएं प्राप्त हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार उनकी अपार ऊर्जा को सही दिशा में ले जाने और उन्हें देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में भागीदार बनाने के लिए ठोस प्रयास कर रही है और वह दिन दूर नहीं जब ये युवा देश के लिए नई सफलताओं के झंडे गाड़ेंगे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि ये युवा हर क्षेत्र में सफलता हासिल करने में सक्षम हैं। उन्होंने कहा कि ये छात्र विमान की तरह हैं और राज्य सरकार उन्हें जीवन में आगे बढ़ने के लिए रनवे उपलब्ध कराएगी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि वह तब तक चैन से नहीं बैठेंगे जब तक कि पंजाब के छात्र अपने लक्ष्यों को प्राप्त नहीं कर लेते।
इस दौरान पंजाब के राज्यपाल गुलाब चंद कटारिया ने अपने संबोधन में पंजाब को शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी राज्य बनाने के सपने के साथ एन.ई.पी. कॉन्फ्रेंस का समापन किया। अपने संबोधन में राज्यपाल ने कॉन्फ्रेंस की सफलता पर खुशी व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री की सक्रिय भागीदारी और व्यावहारिक दृष्टिकोण की प्रशंसा की और शिक्षा मंत्री की उनके अनुभव के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में दिए गए योगदान की सराहना की। पंजाब के मजबूत शैक्षिक ढांचे पर प्रकाश डालते हुए, राज्यपाल ने इस बात पर जोर दिया कि राज्य के पास शिक्षा के क्षेत्र में देश का नेतृत्व करने की असीम क्षमता है।

राज्यपाल ने राज्य सरकार से शैक्षणिक संस्थानों को समर्थन देने की अपील की ताकि ये संस्थान अनुसंधान और नवाचार के क्षेत्र में और आगे बढ़ सकें। उन्होंने कहा कि सामूहिक प्रयासों से हम पंजाब की शिक्षा प्रणाली को और ऊँचा उठा सकते हैं और इसे राष्ट्रीय मॉडल के रूप में प्रस्तुत कर सकते हैं। राज्यपाल ने उच्च शिक्षा के लिए पंजाब को एक आकर्षक स्थान बनाने के राज्य द्वारा किए जा रहे उत्साहवर्धक प्रयासों की भी प्रशंसा की। साथ ही, उन्होंने सभी शैक्षणिक संस्थानों से केंद्र सरकार की योजनाओं और निधियों का अधिकतम उपयोग करने की अपील की। उन्होंने आगे कहा कि इन संसाधनों का अधिकतम लाभ उठाकर ये संस्थान अपने बुनियादी ढांचे का विस्तार कर सकते हैं, शिक्षण की गुणवत्ता में सुधार कर सकते हैं और छात्रों को लाभ पहुंचा सकते हैं।

अपने संबोधन में राज्यपाल ने शिक्षा के क्षेत्र में और अधिक निवेश की आवश्यकता पर जोर देते हुए इस क्षेत्र के लिए जी.डी.पी. का कम से कम 6 प्रतिशत आरक्षित रखने की वकालत की। उन्होंने आगे कहा कि चीन जैसे देश शिक्षा क्रांति के माध्यम से विश्व शक्तियों के रूप में उभरे हैं। हमारे देश के पास असीम संभावनाएं हैं और हमें अपने युवाओं के कौशल को निखारने पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए।

उन्होंने एन.ए.ए.सी. ग्रेडिंग प्रणाली में किए जाने वाले सुधारों पर भी चर्चा की, जिसके तहत छात्र अपनी संस्थाओं के मूल्यांकन में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकेंगे। उन्होंने आगे कहा कि इस बदलाव से छात्रों को सशक्त बनाया जाएगा और हमारी शिक्षा प्रणाली में जवाबदेही सुनिश्चित की जा सकेगी।

शिक्षा में सहयोग की वकालत करते हुए राज्यपाल ने अंतर-संस्था आदान-प्रदान कार्यक्रमों का प्रस्ताव रखा और विश्वविद्यालयों से शिक्षा प्रणाली की बेहतरी के लिए मिलकर काम करने की अपील की। उन्होंने स्वदेशी पहल के तहत रोजगार योग्यता, कौशल विकास और स्वदेशी संसाधनों के उपयोग सहित समग्र विकास के महत्व पर भी जोर दिया।

अपने समापन संबोधन में, राज्यपाल ने इस कॉन्फ्रेंस को वर्ष में दो बार आयोजित करने का सुझाव दिया ताकि शिक्षा के क्षेत्र के विकास के लिए विचारों का आदान-प्रदान हो सके, प्रगति की समीक्षा की जा सके और बेहतर रणनीतियों को अपनाया जा सके। इस कॉन्फ्रेंस का समापन पंजाब की शिक्षा प्रणाली को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के दृढ़ संकल्प के साथ हुआ, जो शिक्षा के मानक और समावेश में राष्ट्रीय मापदंड स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

इस अवसर पर, पंजाब के शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने भी सभा को संबोधित किया।

 

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