एटीएम में नकदी डालने वाले दो कस्टोडियन ने 36 लाख रुपये का गबन किया
एटीएम में नकदी डालने वाले दो कस्टोडियन ने 36 लाख रुपये का गबन किया
अमर सैनी
नोएडा। एटीएम मशीनों में कैश लोडिंग और अनलोडिंग का काम करने वाले दो कस्टोडियन ने जालसाजी कर कंपनी के 35 लाख 72 हजार 500 रुपये गबन कर लिए। कंपनी के सहायक प्रबंधक ने आरोपी कस्टोडियन के खिलाफ फेज तीन थाने में केस दर्ज कराया है। केस दर्ज होने के बाद से आरोपियों ने मोबाइल बंद कर लिया है। दोनों कस्टोडियन की तलाश में पुलिस की दो टीमें गठित कर दी गई हैं। सीएमएस इन्फोसिस्टम लिमिटेड कंपनी के सहायक प्रबंधक देवेंद्र सिंह रावत ने पुलिस को दी शिकायत में बताया कि उनकी कंपनी विभिन्न बैंकों का पैसा उनके निर्देशों के अनुसार एटीएम मशीनों में जमा करने का कार्य करती है। इसको करने के लिए कंपनी में एजेंट के रूप में कस्टोडियन की नियुक्ति की जाती है। साहिबाबाद ब्रांच के अंतर्गत 39 एटीएम रूटों पर कंपनी की ओर से एटीएम बूथ में पैसे डालने का काम किया जाता है। प्रत्येक रूट पर कंपनी के दो कस्टोडियन रहते हैं, जिनकी जिम्मेदारी इंडेंट के अनुसार बैंक और सीएमएस कंपनी के वाल्ट से कैश लेकर एटीएम मशीनों में कैश लोड करने, कैश को बैंक और कंपनी के वाल्ट में जमा कराना होता है। कस्टोडियन विकास कुमार उर्फ बंटी और मोहम्मद आकिब की ड्यूटी नोएडा के रूट नंबर 11 पर थी। दोनों कस्टोडियन जून 2024 से नियुक्त थे। उनके पास संबंधित एटीएम के वाल्ट को खोलने के लिए गोपनीय पासवर्ड, एडमिन कार्ड और चाबी थी। बिना कस्टोडियन के किसी भी हालत में किसी भी एटीएम के वाल्ट को खोला नहीं जा सकता है।
सात अगस्त को विकास कुमार उर्फ बंटी ऑफिस नहीं आया। उसकी टीम के लीडर जितेंद्र दास ने उसे फोन किया तो उसने कहा कि वह आधे घंटे में ऑफिस आ रहा है। उसके बाद से उसका फोन स्विच ऑफ जा रहा है। कस्टोडियन विकास उर्फ बंटी के ऑफिस न आने पर शक के आधार पर उसके रूट पर ऑडिट किया गया तो पता चला कि मामूरा सेक्टर- 66 स्थित बैंक आफ इंडिया के एटीएम में 35 लाख 72 हजार 500 कम है। कंपनी ने जब एटीएम में लगे सीसीटीवी कैमरे को चेक किया तो उसे पर ब्लैक स्प्रे किया हुआ मिला। ऐसा इसलिए किया गया ताकि मशीन के साथ हुई छेड़छाड़ की तस्वीर कैद न हो सके।
कस्टोडियन ने ऑफिस आना छोड़ा:
जैसे ही ऑडिट से घोटाले की जानकारी प्रबंधन को हुई उसने दोनों कस्टोडियन से संपर्क करने का प्रयास किया। कस्टोडियन विकास कुमार केस दर्ज होने के बाद से ऑफिस नहीं आ रहा है। मोबाइल समेत अन्य माध्यमों से उससे संपर्क करने का प्रयास किया गया पर बात नहीं हो सकी। प्रबंधन का कहना है कि रूट नंबर 11 का अभी भी ऑडिट हो रहा है, अगर और कमी मिलती है तो जल्द ही अवगत कराया जाएगा। गबन की रकम बढ़ने की भी आशंका जताई जा रही है। दोनों आरोपियों के खिलाफ संबंधित धाराओं में केस दर्ज किया गया है। आरोपियों को दबोचने के लिए एसीपी दीक्षा सिंह की अगुवाई में टीमें गठित की गई हैं।
बैंकिंग प्रणाली से जुड़े जानकार बताते हैं कि आठ से दस हजार रुपये प्रतिमाह की सैलरी पर जिन कस्टोडियन को रखा जाता है उनके ऊपर करोड़ों रुपये लाने और ले जाने की जिम्मेदारी होती है। कैश रिफलिंग करते समय एटीएम रकम की गिनती नहीं कर पाते। कस्टोडियन मैनुअल एटीएम को जब चाहे तब खोल सकते हैं। पासवर्ड मिलने के बाद कस्टोडियन रिफिलिंग के लिए जाते हैं लेकिन जरूरी नहीं है कि उसी दिन कैश रिफिल किया जाए। मैनुअल या एसएनजी एटीएम खोलकर उसमें से रकम निकालकर कस्टोडियन दूसरे एटीएम में भर सकते हैं। इसकी जानकारी ऑडिट के समय ही हो पाती है। इस चीजों में सुधार की आवश्यकता है।