Dr. Manmohan Singh भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था के महानायक
Dr. Manmohan Singh का नाम भारतीय राजनीति और अर्थव्यवस्था में एक आदर्श के रूप में दर्ज है। 26 दिसंबर 2024 को उनके निधन से भारत ने एक ऐसे नेता को खो दिया जिसने न केवल देश की आर्थिक दिशा बदल दी, बल्कि भारत को वैश्विक मंच पर सम्मानजनक स्थिति दिलाई। उनकी सादगी, विद्वत्ता और दूरदर्शिता ने उन्हें अद्वितीय बनाया।
Dr. Manmohan Singh: 1991 का आर्थिक संकट और सुधारों की शुरुआत
1991 में भारत एक गहरे आर्थिक संकट से गुजर रहा था। विदेशी मुद्रा भंडार खत्म होने के कगार पर था, और देश पर भारी कर्ज का बोझ था। इस कठिन समय में, तत्कालीन वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने साहसिक कदम उठाए और भारतीय अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों के लिए खोला।
उन्होंने लाइसेंस राज को खत्म किया, विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया और निजीकरण की प्रक्रिया शुरू की। इन सुधारों ने भारत को दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल किया। उनकी नीतियों ने न केवल आर्थिक संकट को टाला, बल्कि देश को आत्मनिर्भर और प्रतिस्पर्धी बनाया।
वैश्विक मंदी में भारत की मजबूती
2008 में वैश्विक आर्थिक मंदी के दौरान, जब अमेरिका और यूरोप जैसे बड़े देश इसकी चपेट में थे, तब भारत Dr. Manmohan Singh के नेतृत्व में इस संकट से बच निकला। उनकी सरकार ने सार्वजनिक निवेश बढ़ाया, रोजगार सृजन के लिए मनरेगा जैसी योजनाओं को लागू किया, और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग को बढ़ावा दिया।
भारत-अमेरिका परमाणु समझौता
Dr. Manmohan Singh के प्रधानमंत्री कार्यकाल में भारत-अमेरिका परमाणु समझौता एक बड़ा मील का पत्थर साबित हुआ। यह समझौता भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में नई ऊंचाइयों तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण था।
सच्चर आयोग और अल्पसंख्यकों का उत्थान
Dr. Manmohan Singh ने भारतीय मुसलमानों की सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक स्थिति को सुधारने के लिए सच्चर आयोग का गठन किया। आयोग की सिफारिशों के आधार पर अल्पसंख्यकों के लिए विशेष शैक्षिक संस्थानों का निर्माण, स्वरोजगार के लिए आसान ऋण, और सरकारी नौकरियों में उनकी भागीदारी बढ़ाने के प्रयास किए गए।
हालांकि, इन सिफारिशों को पूरी तरह लागू न कर पाने के कारण उनकी सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, लेकिन यह एक ईमानदार प्रयास था।
पड़ोसी देशों के साथ संबंध
Dr. Manmohan Singh ने अपने कार्यकाल में पड़ोसी देशों के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखने पर जोर दिया। उन्होंने सार्क को सक्रिय बनाने, और पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और श्रीलंका के साथ व्यापार और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को बढ़ावा दिया।
विरासत और प्रेरणा
डॉ. मनमोहन सिंह का जीवन सादगी, ईमानदारी और ज्ञान का प्रतीक है। उनके सुधारों और नेतृत्व ने भारत को नई दिशा दी। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत रहेगा।
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