
नई दिल्ली, 6 अक्तूबर: दिल्ली सरकार से संबद्ध अस्पतालों में स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा का जिम्मा पूर्व सैनिकों को सौंपा जाएगा। इस आशय का निर्देश चिकित्सा निदेशकों व चिकित्सा अधीक्षकों को भेजा गया है। वहीं, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) के जरिये डॉक्टरों को सुरक्षा प्रदान करने का प्रस्ताव समीक्षाधीन है।
दरअसल स्वास्थ्य विभाग ने कार्यस्थल पर स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा के बाबत जीटीबी अस्पताल, जग प्रवेश चंद्र अस्पताल और इंदिरा गांधी अस्पताल समेत अन्य संस्थानों को निर्देश दिया है कि निजी सुरक्षा कर्मियों के रूप में पूर्व सैनिकों को वरीयता प्रदान करें। और इस संबंध में भूतपूर्व सैनिक कल्याण विभाग से संबद्ध पुनर्वास महानिदेशालय से संपर्क करें।
सूत्रों के मुताबिक डॉक्टर सुरक्षा का मामला सीआईएसएफ को सौंपने की प्रक्रिया में अपरिहार्य कारणों से हो रही देरी के चलते डॉक्टरों की सुरक्षा पूर्व सैनिकों को सौंपने का फैसला किया गया है। इसके पीछे रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा मौजूदा सुरक्षा कर्मियों को स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा में नाकाम बताया जाना प्रमुख कारण रहा है। डॉक्टरों ने उन्हें सुरक्षा से समझौता करने वाला, भीड़ नियंत्रण में अक्षम और शारीरिक रूप से कमजोर बताया था।
सूत्रों ने कहा कि स्वास्थ्य विभाग केंद्रीय एजेंसी को हायर करने का मसौदा तैयार कर रहा है। इसके लिए सभी तकनीकी पहलुओं की समीक्षा की जा रही है। साथ ही बजट अनुमान भी तैयार किया जा रहा है। इसके बाद अस्पतालों की सुरक्षा का जिम्मा सीआईएसएफ के हवाले करने के फैसले को अमल में लाया जा सकेगा जिससे स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों की सुरक्षा संबंधी चिंताओं का निराकरण हो सकेगा।
उधर, जीटीबी अस्पताल के सुरक्षा मामलों के प्रभारी डॉ लक्ष्य बेरीवाल ने बताया कि हमने अस्पताल के सभी विभागाध्यक्षों से आवश्यक सुरक्षा कर्मियों की संख्या का ब्यौरा मांगा है। कुछ विभागों ने ब्यौरा दे दिया है और कुछ विभागों का ब्यौरा आना बाकी है। फिलहाल, डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए 25 पूर्व सैनिकों की मांग संबंधी प्रस्ताव दिल्ली सचिवालय को भेजा गया है।