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चकबंदी कार्यों में योगी सरकार ने स्थापित किया 10 वर्षों का नया कीर्तिमान

- 63 वर्षों से चकबन्दी प्रक्रिया से वंचित रहे आजमगढ़ के ग्राम महुवा में भी योगी सरकार ने कराई चकबंदी प्रक्रिया पूर्ण

लखनऊ, 14 सितंबर: योगी सरकार अन्नदाताओं के हितों के लिए लगातार आवश्यक कदम उठा रही है। इसी के तहत योगी सरकार ने पिछले वर्ष सितंबर माह में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान चकबंदी विभाग को किसानों के खेत की सीमा संबंधी विवादों को सुलझाने, गांवों को विकास से जोड़ने, सरकारी योजनाओं का लाभ देने एवं सरकारी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए निर्देश दिये थे। साथ ही, गांवाें में ग्राम अदालत लगाकर वादों के त्वरित निस्तारण के निर्देश दिये थे। सीएम योगी की मॉनीटरिंग का ही नतीजा है कि योगी सरकार ने चकबंदी संबंधी कार्यों में पिछले एक वर्ष में 10 वर्षों का नया कीर्तिमान स्थापित किया है। वर्तमान वित्तीय वर्ष में आठ माह में प्रदेश के 40 जिलों के 82 ग्रामों में अब तक चकबंदी करायी जा चुकी है। वहीं पिछले वर्ष 2023-24 में प्रदेश के 74 जिलों के 781 गांवों में चकबंदी करायी गयी। इसके अलावा पिछले साल सितंबर से अब तक 705 ग्राम अदालत का आयोजन किया गया, जिसमें 25,523 वादों का निस्तारण किया जा चुका है।

तीन वर्षों में 1475 ग्रामों में पूरी की गयी चकबंदी प्रक्रिया
चकबंदी आयुक्त जीएस नवीन ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अन्नदाताओं के खेत संबंधी विवादों को पारदर्शी एवं गुणवत्तापूर्ण तरीके से निपटाने के लिए चकबंदी कराने के निर्देश दिये थे। उन्होंने इसके निस्तारण के लिए अभियान और ग्राम अदालत लगाने के निर्देश दिये थे। इसी क्रम में इस वित्तीय वर्ष में आठ माह में 40 जिलों के 82 ग्रामों में चकबंदी करायी जा चुकी है। वहीं 51 ग्रामों में चकबंदी प्रक्रिया संभव न होने के कारण अधिनियम की धारा 6 (1) के तहत चकबंदी प्रक्रिया से अलग किया गया। इसी तरह वर्ष 2023-24 में 74 जिलों के 781 ग्रामों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गयी। इसमें 330 ग्राम 10 वर्षों से अधिक अवधि के थे। वर्ष 2022-23 में 463 ग्रामों एवं 2021-22 में 231 ग्रामों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गयी, जो पिछले 10 वर्षों की तुलना में एक कीर्तिमान है। कुल मिलाकर वर्ष 2021-2022, 2022-23 तथा 2023-24 में 1475 ग्रामों में चकबंदी प्रक्रिया पूरी हुई है। वहीं, 50 वर्ष से अधिक अवधि से लंबित 8 ग्राम, 30 वर्ष से 50 वर्ष तक लंबित 72 ग्राम और 10 वर्ष से 30 वर्ष तक लंबित 296 ग्राम में चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गयी। इसमें आजमगढ़ के ग्राम महुवा और गोमाडीह में क्रमश: 63 वर्ष और 56 वर्ष से लंबित, विचाराधीन चकबंदी प्रक्रिया पूरी की गयी। इसके अलावा गाजीपुर के ग्राम सवना व बरेजी चकबंदी प्रक्रिया 59 वर्षों एवं ग्राम बेलसड़ी की चकबंदी प्रक्रिया 55 वर्षों से विचाराधीन थी, जिसे पूरी किया गया।

कन्नौज के 8 ग्रामों के दोबारा तैयार कराए चकबंदी अभिलेख
चकबंदी आयुक्त ने बताया कि लखीमपुर खीरी के ग्राम सुआबोझ, सुल्तानपुर के ग्राम मालापुर जगदीशपुर, जौनपुर के ढेमा गांव में क्रमश: 53, 54 और 52 वर्ष से चकबंदी प्रक्रियाधीन थी, जिसे पूरा किया गया। इसके अलावा सुल्तानपुर के ग्राम अन्दारापुर में 48 वर्षों, बरेली के ग्राम मोहनपुर में 41 वर्ष, बिजनौर के ग्राम छाचरी टीप में 35 वर्षों, बदायूं के ग्राम रहेड़िया में 33 वर्षों, मऊ के ग्राम अल्देमऊ में 31 वर्षों, बुलंदशहर के ग्राम याकूबपुर व मुस्तफाबाद डडुवा में 30 वर्षों से चकबंदी प्रक्रियाधीन थी, जिसे पूरी किया गया। इसके साथ ही कन्नौज में 1990 में अग्निकांड की वजह से 35 ग्रामों के अभिलेख जल गये थे, जिससे 34 वर्षों से चकबंदी प्रक्रिया बाधित हो रही थी। इसमें नये अभिलेखों को तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती थी। ऐसे में चकबंदी आयुक्त ने तत्कालीन अपर निदेशक चकबंदी की अध्यक्षता में समिति का गठन किया। साथ ही समिति की संस्तुति के बाद 35 ग्रामों में से 8 ग्रामों को पायलेट प्रोजेक्ट के रूप में उनके अभिलेख सृजित किये गये। इनमें से दो गांव नन्दलालपुर व करनौली की चकबंदी प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है। इतना ही नहीं पिछले वर्ष चकबंदी प्रक्रिया में शामिल लखीमपुर खीरी के ग्राम रामपुर मकरन्द की चकबंदी प्रक्रिया एक वर्ष और रामपुर के ग्राम चक रफतपुर में मात्र आठ माह में चकबंदी पूरी की गयी।

जल्द ही एआई, ब्लॉक चेन, ड्रोन और रोवर से होगी चकबंदी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चकबंदी संबंधी पुराने लंबित वादों को निस्तारित करने के लिए ग्रामों में ग्राम अदालत लगाने के निर्देश दिये थे। सीएम योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद पिछले वर्ष सितंबर से अब तक प्रदेश के विभिन्न जिलों में 705 ग्राम अदालत का आयोजन किया गया। इसके जरिये 25,523 वादों को निस्तारण किया जा चुका है। इसके अलावा किसानों के हित एवं पारदर्शिता के मद्​देनजर एआई, ब्लॉक चैन, ड्रोन एवं रोवर सर्वेक्षण आधारित चकबंदी संचालित करने के लिए पायलेट प्रोजेक्ट के तहत आईआईटी रूड़की के साथ परीक्षण चल रहा है। इसके साथ ही जीआईएस बेस्ड सॉफ्टवेयर एवं मोबाइल ऐप विकसित करने की भी कार्रवाई चल रही है। जल्द ही इन टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर चकबंदी प्रक्रिया संचालित की जाएगी।

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