ब्लड प्रेशर को सही तरीके से नापें, नियंत्रित करें, दीर्घ जीवन जिएं : AIIMS
- बीपी की नियमित समस्या के चलते दिल, दिमाग, आंख और गुर्दे पर पड़ सकता है बुरा असर

नई दिल्ली, 24 मई : हाइपरटेंशन, उच्च रक्तचाप या ब्लड प्रेशर एक ‘साइलेंट किलर’ है जो पीड़ित के दिल, दिमाग, आंख और गुर्दे को धीरे- धीरे खराब कर देता है। आजकल इसका प्रभाव व्यस्कों और बुजुर्गों के साथ बच्चों में भी देखा जा रहा है। यह एक चिंताजनक स्थिति है जिसे बीपी की नियमित जांच के जरिये नियंत्रित किया जा सकता है। यह बातें एम्स दिल्ली के सामुदायिक चिकित्सा केंद्र की प्रमुख डॉ किरण गोस्वामी ने शुक्रवार को कहीं।
उन्होंने कहा, हाइपरटेंशन अब राष्ट्रव्यापी समस्या बन गया है जिसके चलते देश के करीब 22 करोड़ युवाओं और बुजुर्गों के साथ करीब 8 करोड़ बच्चे प्रभावित हो रहे हैं। इस समस्या ने न सिर्फ संक्रामक रोगों को पीछे छोड़ दिया है। बल्कि विभिन्न रोगों के कारण होने वाली तमाम मौतों में से दो तिहाई मौतों के लिए भी जिम्मेदार बन गया है। इस रोग के पीछे खान-पान एवं जीवनशैली में बदलाव, तनाव और शारीरिक निष्क्रियता के अलावा तंबाकू और नमक का अत्यधिक सेवन प्रमुख कारण है। इसके चलते लोग दीर्घावधि में हार्ट फेल, किडनी फेल, अंधेपन और स्ट्रोक के शिकार बन रहे हैं और समय से पहले अपना बहुमूल्य जीवन गंवा रहे हैं।
डॉ गोस्वामी ने कहा, दुनिया भर में 5 ग्राम नमक रोज खाया जाता है लेकिन भारतीय (बच्चे और बड़े) औसतन 10 ग्राम नमक रोजाना खा रहे हैं जिसमें अचार, पापड़, चटनी, पिज्जा, चीज, बर्गर, चिप्स और तली -भुनी चीजों का सेवन शामिल है। इन खाद्य पदार्थों में नमक और फैट की अधिकता होती है जो मोटापे और गैर संक्रामक रोगों का कारण बनते हैं। वहीं, डॉ. सुमित मल्होत्रा ने कहा, हाइपरटेंशन के प्रति समाज में जागरूकता की कमी के कारण इसके निदान, उपचार और नियंत्रण की स्थिति में अंतराल हैं। जिसे पाटने के लिए स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 75/25 योजना बनाई है। इसके तहत 2025 तक उच्च रक्तचाप और मधुमेह से पीड़ित 75 मिलियन वयस्कों को उपचार दिया जाना है। उन्होंने कहा, अगर हाइपरटेंशन से पीड़ित व्यक्ति का बीपी नियंत्रित है, तो भी उसे बीपी की दवाएं लेते रहना चाहिए। दवा छोड़ने पर समस्या दोबारा हो सकती है।
30 वर्ष की उम्र से करें बीपी की नियमित जांच
डॉ मल्होत्रा ने कहा, देश के 50% लोगों को बीपी की समस्या है लेकिन इस बारे में उन्हें पता ही नहीं है। ज्यादातर लोग बीपी को हलके में लेते हैं और वह बीपी जांच कराने से कतराते हैं। अगर वह बीपी की समस्या से पीड़ित होते हैं तो कुछ समय बाद गंभीर स्वास्थ्य स्थिति में पहुंच जाते हैं। इसलिए उन्हें 30 वर्ष की उम्र से नियमित रूप से बीपी की जांच करनी चाहिए। वयस्कों में बीपी को लेकर 2023 में संपन्न एक राष्ट्रव्यापी भारतीय अध्ययन में पाया गया कि 4 में से 1 व्यक्ति को उच्च रक्तचाप था। इनमे से 3 में से 1 व्यक्ति को ही इसके बारे में पता था। वहीं, 5 में से 1 से व्यक्ति ही इलाज करवा रहा था जबकि 12 में से केवल 1 व्यक्ति का बीपी ही नियंत्रण में था।
कैसे करें बीपी की जांच
उच्च रक्तचाप (बीपी) की जांच घर पर ही बीपी की डिजिटल मशीन से की जा सकती है। इसके लिए 5 मिनट पीठ के सहारे, पैरों को फर्श पर रख के शांति से बैठें और बीपी नापते समय बात न करें। कफ को अपनी बांह के चारों ओर, अपनी कोहनी से 2 सेमी ऊपर रखें। जब आप पहली बार शुरुआत करें तो दोनों भुजाओं में अपना बीपी नापें। उसके बाद एक ही हाथ का बीपी नापें। प्रत्येक दिन एक ही समय पर नाप लें। बीपी की रीडिंग सुबह दवा लेने से पहले और रात को सोने से पहले लेनी चाहिए। रीडिंग लेने से कम से कम 30 मिनट पहले कैफीन, धूमपान, शराब, स्नान और व्यायाम से बचें। 2 से 3 रीडिंग लें और प्रत्येक रीडिंग 2 मिनट के बाद होनी चाहिए। नापते समय रीडिंग वाले हाथ को हृदय के स्तर पर रखना चाहिए। इसके लिए हाथ को टेबल या आर्म रेस्ट पर रखना चाहिए। नाप का रिकॉर्ड रखने के लिए एक डायरी बनाएं।
बीपी घटाओ, जान बचाओ
हाइपरटेंशन, एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त वाहिकाओं में रक्त का दबाव या ब्लड प्रेशर लगातार बढ़ता रहता है। आम तौर पर, 120/80 मिमी एचजी दबाव को सामान्य ब्लड प्रेशर माना जाता है। अगर किसी व्यक्ति का ब्लड प्रेशर 140/90 मिमी एचजी या इससे ज्यादा होता है, तो उसे हाइपरटेंशन या उच्च रक्तचाप माना जाता है।