राज्यपश्चिम बंगाल

Banglar Vote Rokkha: बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने शुरू किया ‘बांग्ला वोट रक्षा’ अभियान, मतदाता सूची से नाम कटने पर रोक और जागरूकता पर फोकस

Banglar Vote Rokkha: बंगाल में तृणमूल कांग्रेस ने शुरू किया ‘बांग्ला वोट रक्षा’ अभियान, मतदाता सूची से नाम कटने पर रोक और जागरूकता पर फोकस

कोलकाता,  पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) की प्रक्रिया के बीच, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने राज्यभर में एक बड़ा जनसंपर्क अभियान ‘बांग्ला वोट रक्षा’ (Banglar Vote Rokkha) शुरू किया है। इस अभियान का उद्देश्य है मतदाताओं को जागरूक करना, गलत तरीके से नाम हटाने से रोकना और नए मतदाताओं को मतदाता सूची में नाम जोड़ने में मदद करना। पार्टी का दावा है कि यह पहल अपने तरह की देश की सबसे बड़ी राजनीतिक जनसहायता मुहिम है।
टीएमसी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा, “देश के 12 राज्यों में जहां एसआईआर चल रहा है, उनमें केवल तृणमूल कांग्रेस ही इतनी बड़ी संख्या में मतदाताओं की सहायता के लिए मैदान में उतरी है। भाजपा एसआईआर की आड़ में लोगों में डर और भ्रम फैला रही है, जबकि तृणमूल कांग्रेस घर-घर जाकर नागरिकों की मदद कर रही है।”
इस अभियान के तहत राज्यभर में 5,000 से अधिक मतदाता सहायता शिविर लगाए गए हैं। 4 नवंबर को शुरू हुई इस पहल के बाद से ही नागरिक इन शिविरों में जाकर गणना फॉर्म और फॉर्म 6 भरने में सहायता ले रहे हैं। इसके अलावा, ‘दीदीर दूत’ ऐप के ज़रिए इस पूरी प्रक्रिया की डिजिटल ट्रैकिंग भी की जा रही है। हजारों स्वयंसेवक घर-घर जाकर मतदाताओं की जानकारी अपडेट करने में मदद कर रहे हैं।
अभियान की शुरुआत उस समय हुई जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी स्वयं सड़कों पर उतरीं और एसआईआर के विरोध में प्रदर्शन किया। उन्होंने 6 नवंबर को कहा था कि जब तक “बंगाल का हर व्यक्ति फॉर्म नहीं भरता, मैं खुद अपना फॉर्म नहीं भरूंगी।”
इस बीच, विपक्षी दलों पर सवाल उठ रहे हैं कि वे एसआईआर प्रक्रिया के लिए बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। राज्य के करीब 80,000 मतदान केंद्रों में से आधे से अधिक पर विपक्षी दल बीएलए नियुक्त नहीं कर पाए हैं, जिससे तृणमूल कांग्रेस को मैदान में बढ़त मिलती दिख रही है।
टीएमसी ने शुक्रवार (7 नवंबर) को मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार की टिप्पणियों पर भी आपत्ति जताई। पार्टी के मंत्री अरूप बिस्वास ने राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी मनोज अग्रवाल को भेजे पत्र में कहा कि सीईसी की मौखिक टिप्पणियां और बीएलओ को दिए गए लिखित निर्देश एक-दूसरे से मेल नहीं खाते। सीईसी ने कहा था कि गणना फॉर्म भरते समय व्यक्ति अपने या अपने रिश्तेदार जैसे ‘चाचा’ का विवरण दे सकता है, लेकिन लिखित निर्देशों में रिश्तेदारी की श्रेणी केवल माता-पिता और दादा-दादी तक सीमित रखी गई है।
टीएमसी ने इसे चुनाव प्रक्रिया में भ्रम फैलाने वाला बताया और पारदर्शिता की मांग की। शुक्रवार शाम 4 बजे तक पश्चिम बंगाल में करीब 2.72 करोड़ गणना फॉर्म वितरित किए जा चुके थे।
सुप्रीम कोर्ट 11 नवंबर को एसआईआर की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। उससे पहले ही यह जनसंपर्क अभियान न केवल बंगाल बल्कि देश के अन्य राज्यों में भी राजनीतिक हलचल पैदा कर चुका है।

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