Azam Khan Jail Release: 23 महीने बाद आजम खान रिहा, DSP पर भड़के; बसपा में जाने की अटकलों पर दिया जवाब
Azam Khan Jail Release: सपा नेता आजम खान 23 महीने बाद जेल से रिहा होकर रामपुर पहुंचे। DSP पर नाराज हुए और बसपा में शामिल होने की अटकलों पर चुप्पी तोड़ी। जानें पूरी खबर।

Azam Khan Jail Release: सपा नेता आजम खान 23 महीने बाद जेल से रिहा होकर रामपुर पहुंचे। DSP पर नाराज हुए और बसपा में शामिल होने की अटकलों पर चुप्पी तोड़ी। जानें पूरी खबर।
Azam Khan Jail Release: 23 महीने बाद मिली रिहाई
समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता Azam Khan को 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा कर दिया गया। उनकी रिहाई के बाद समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। रामपुर लौटते समय उन्होंने रास्ते में DSP पर गुस्सा जाहिर किया और कहा कि पुलिस मुसाफिरों को परेशान कर रही है।
बसपा में जाने की अटकलों पर प्रतिक्रिया
जेल से बाहर आने के बाद जब मीडिया ने उनसे बहुजन समाज पार्टी (BSP) में शामिल होने की अटकलों पर सवाल किया तो Azam Khan ने कहा,
“ये अटकलें लगाने वाले ही बेहतर बता सकते हैं। मैं जेल में किसी से नहीं मिला। फोन करने तक की इजाजत नहीं थी।”
अखिलेश यादव के बयान पर चुप्पी
मीडियाकर्मियों ने जब पूछा कि अखिलेश यादव ने कहा है, सपा सरकार बनते ही आजम खान पर लगे सारे केस हटा दिए जाएंगे, तो इस पर आजम खान मुस्कुरा दिए और चुप्पी साध ली।
जमानत से रिहाई तक का सफर
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Azam Khan को हाल ही में हाईकोर्ट से बीयर बार कब्जे से जुड़े केस में जमानत मिली थी।
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यह उनका आखिरी मामला था, जिसमें जमानत मिलने से रिहाई का रास्ता साफ हुआ।
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हालांकि, जमानत मिलते ही पुलिस ने शत्रु संपत्ति मामले में नई धाराएं जोड़ दी थीं।
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20 सितंबर को रामपुर कोर्ट ने ये धाराएं खारिज कर दीं, जिससे उनकी रिहाई हो पाई।
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वर्तमान में आजम खान पर कुल 104 केस दर्ज हैं।
जेल से बाहर आने का पल
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रिहाई की प्रक्रिया सुबह 9 बजे शुरू होनी थी, लेकिन एक केस में ₹6000 का जुर्माना न भरने से देरी हुई।
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10 बजे कोर्ट खुलने पर यह रकम जमा की गई और आखिरकार 12:30 बजे आजम खान को रिहा किया गया।
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उनके बेटे अदीब और अब्दुल्ला उन्हें लेने पहुंचे।
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करीब 100 गाड़ियों के काफिले के साथ वे रामपुर रवाना हुए।
समर्थकों का भारी उत्साह
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Azam Khan जेल से बाहर काला चश्मा, काली सदरी और सफेद कुर्ता पहनकर निकले।
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हाथ हिलाकर उन्होंने समर्थकों का अभिवादन किया।
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उन्हें लेने के लिए 400 से ज्यादा कार्यकर्ता और मुरादाबाद सांसद रुचि वीरा पहुंचे।
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इस दौरान पुलिस ने 73 कार्यकर्ताओं की गाड़ियों का चालान किया, क्योंकि वे नो पार्किंग जोन में खड़ी थीं।
Azam Khan की रिहाई न केवल उनके परिवार और समर्थकों के लिए बड़ी राहत है, बल्कि उत्तर प्रदेश की राजनीति के लिए भी अहम मोड़ साबित हो सकती है। अब देखना होगा कि वह आगे किस रणनीति के साथ सक्रिय राजनीति में लौटते हैं।