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Ayodhya: अयोध्या में छह दिसंबर का बदला मंजर: भाईचारे और प्रगति की नई इबारत लिखते हिंदू–मुस्लिम

Ayodhya: अयोध्या में छह दिसंबर का बदला मंजर: भाईचारे और प्रगति की नई इबारत लिखते हिंदू–मुस्लिम

अयोध्या की फिज़ा बदल चुकी है। कभी छह दिसंबर का नाम भर सुनते ही शहर की हवा में तनाव, बेचैनी और अनिश्चितता घुल जाती थी, तो वही तारीख आज भाईचारे, विकास और सामाजिक सद्भाव की नई कहानी बनकर उभर रही है। रामनगरी अयोध्या अब पुरानी कड़वी यादों को पीछे छोड़कर भविष्य की ओर नए विश्वास के साथ बढ़ रही है, जहां हिंदू-मुस्लिम मिलकर एक नई पहचान गढ़ रहे हैं।

बीते वर्षों में जिस छह दिसंबर का जिक्र होते ही सुरक्षा व्यवस्था सख्त हो जाती थी और शहर सतर्कता की चादर ओढ़ लेता था, वही अब उमंग और सामान्य जीवन की ऊर्जा से भरपूर दिख रहा है। छह दिसंबर की पूर्व संध्या पर सरयू तट से लेकर राम मंदिर की चौखट तक भक्ति की गूंज सुनाई दी। रामलला के दरबार में भक्तों की भीड़ उमड़ी, हनुमानगढ़ी में श्रद्धालुओं का रेला दिखाई दिया और शहर की गलियां पुराने दिनों की तरह रौनक से भरपूर नजर आईं। चौक-चौराहों पर सामान्य दिन की हलचल थी और बाजारों में रोजमर्रा की चहलकदमी, जिससे साफ झलकता है कि अयोध्या अब डर से नहीं, उम्मीद से आगे बढ़ रही है।

राम मंदिर निर्माण कार्य के बाद शहर में तेजी से हुए विकास ने अयोध्या की आर्थिक और सामाजिक संरचना में सकारात्मक बदलाव लाया है। सड़कों, हवाई अड्डे, पर्यटन, रोजगार और व्यापार के बढ़ते अवसरों ने माहौल में स्थिरता और विश्वास पैदा किया है। कानपुर से रामलला के दर्शन करने आए अनिल चौहान ने मुस्कुराते हुए कहा, “अब कौन छह दिसंबर की बात करता है भाई साहब, देखिए मंदिर का शिखर ध्वजा से चमक रहा है। यही अयोध्या की समृद्धि का असली प्रतीक है।”

महंत शशिकांत दास ने बताया कि अयोध्या अब टकराव की नहीं, बल्कि अध्यात्म और सद्भाव की पहचान बन चुकी है। उन्होंने कहा कि मंदिर निर्माण के दौरान और उसके बाद कहीं कोई तनाव नहीं दिखा, जो हमारे सांझा सांस्कृतिक मूल्यों की जीत है। उन्होंने कहा, “मुस्लिम भाई तरक्की में बराबरी से भागीदार हैं। छह दिसंबर को लेकर अब कोई कटुता नहीं बची है।”

व्यापारी संतोष गुप्ता ने भी बदलते माहौल की गवाही दी। उन्होंने कहा, “हमने अपनी आंखों से देखा कि कैसे विवाद ने विकास को रोक रखा था। आज सौहार्द बढ़ा है, भरोसा बढ़ा है और यही वास्तविक प्रगति है। अब अयोध्या की हवा में सभी के लिए समान अवसर हैं।”

सुन्नी वक्फ बोर्ड कमेटी के अध्यक्ष आजम खान ने कहा कि वह चाहते हैं कि आने वाली पीढ़ियां अयोध्या को भाईचारे की मिसाल के रूप में याद करें, न कि किसी पुराने विवाद से। उन्होंने कहा, “छह दिसंबर की घटना दुखदायी थी, लेकिन अब सिर्फ विकास और भविष्य की बात होनी चाहिए। आज जो सम्मान व समझ कायम हुई है, वही अयोध्या की असली पूंजी है।”

समाजसेवी मोहम्मद असलम ने कहा कि अतीत की बातें पीछे छूट चुकी हैं और आज सभी की प्राथमिकता शांति, स्थिरता और रोजगार के अवसर हैं। उन्होंने बताया कि अब विकास के लाभ सबको मिल रहे हैं, चाहे हिंदू हों या मुस्लिम, क्योंकि तरक्की का रास्ता सामूहिक प्रयास से ही बनता है।

अयोध्या का यह बदला हुआ मंजर बताता है कि इतिहास की कठिनाइयां पीछे छूट सकती हैं, यदि समाज साथ मिलकर भविष्य की दिशा तय करे। आज छह दिसंबर न तनाव का दिन है, न उग्र नारों का, बल्कि प्रगति, एकता और भरोसे का प्रतीक बन चुका है। रामनगरी ने दुनिया को यह संदेश दे दिया है कि सद्भाव से बड़ी कोई जीत नहीं।

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