भारत

आज के समय में प्रेस की आजादी पर लग रहा है प्रश्न चिन्ह

-विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर वरिष्ठ पत्रकारों ने व्यक्त की अपनी राय

नई दिल्ली, 3 मई (टॉप स्टोरी न्यूज नेटवर्क): विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर वरिष्ठ पत्रकारों ने अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि आज के समय में प्रेस की आजादी पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। जब तक उचित वेतन और नौकरी की अनिश्चितता बनी रहेगी, तब तक प्रेस की स्वतंत्रता के कोई मायने नहीं हैं। यूनेस्को में पास हुआ यह दिवस यूं तो विश्व भर में पत्रकार मनाते हैं लेकिन अब पत्रकार की स्वतंत्रता के बारे में सोचने का समय है।

वरिष्ठ पत्रकार और भारत में आईएफजे के संयोजक रहे केएन गुप्ता ने शुक्रवार को कहा कि यह समय हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण है, कारण पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर प्रश्न चिन्ह लग रहा है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने उस समय कहा था कि पत्रकारों को स्वतंत्र होना चाहिए। उनके कामों में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए। इस समय हमारे सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि सभी पत्रकार संगठनों को एक कर पत्रकार हित में कार्य किया जाए। उनकी स्वतंत्रता के लिए आंदोलन चलाया जाए।

नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्टस (इंडिया) के राष्ट्रीय अध्यक्ष रासबिहारी ने कहा कि प्रेस की स्वतंत्रता कहां है? जब तक उचित वेतन, नौकरी की अनिश्चितता बनी रहेगी तब तक प्रेस की स्वतंत्रता के कोई मायने नहीं है। उन्होंने कहा कि नौकरियां में लगातार छंटनी हो रही है। वेतन में कटौती हो रही है। काम करने के घंटे तय नहीं हो रहे। टीआरपी की होड़ में ज्यादा से ज्यादा मुनाफा कमाने और मीडिया में आजादी छीनने की जो प्रथा शुरू हो गई है, उसमें हम स्वतंत्रता पर चर्चा करना बेमानी समझते है। इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार मनोज मिश्र, मनोज वर्मा, राकेश थपलियाल, मनोहर सिंह, नरेंद्र भंडारी, प्रतिभा शुक्ला, संतोष सूर्यवंशी, अमलेश राजू और प्रियरंजन ने भी अपने विचार व्यक्त किए।

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