
डॉ. अनिल कुमार सिंह
संपादक – STAR Views, संपादकीय सलाहकार–टॉप स्टोरी, तथा पुस्तक “Bihar: Chaos to Chaos” (2013) के लेखक
एंकर की भूमिका
डॉ. अनिल सिंह:
बिहार एक बार फिर राष्ट्रीय राजनीति का केंद्र बन गया है। INDIA गठबंधन इस बार जातीय समीकरण और बेरोज़गारी जैसे पुराने मुद्दों से हटकर “मताधिकार बचाने” का नारा दे रहा है। वहीं एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों और स्थिर नेतृत्व को अपना चुनावी आधार बना रहा है।
लेकिन ज़मीनी स्तर पर बिहार अब भी कई चुनौतियों से जूझ रहा है—पलायन, गरीबों, बेरोज़गारी, शिक्षा और स्वास्थ्य की बदहाली। ऐसे में असली मुद्दे क्या हैं? और मतदाता किस ओर झुकेगा?
इन सवालों पर चर्चा करने के लिए हमारे साथ हैं बिहार के दो चर्चित और अनुभवी चेहरे—आनंद मोहन और लवली आनंद।
INDIA गठबंधन की रणनीति और मताधिकार का मुद्दा
डॉ. अनिल सिंह:
इस बार INDIA गठबंधन जाति और बेरोज़गारी पर कम और वोटिंग राइट्स पर ज़्यादा ज़ोर दे रहा है। क्या यह नया नैरेटिव बिहार में असर करेगा?
आनंद मोहन:
यह सिर्फ़ डर फैलाने की कोशिश है कि दलितों और वंचित तबकों के वोट छीने जा रहे हैं। जबकि सच्चाई यह है कि बिहार का मतदाता हमेशा जागरूक रहा है। संविधान साफ कहता है—केवल भारतीय नागरिक वोट दे सकते हैं। ऐसे भ्रम लंबे समय तक नहीं चलते। बिहार के लोग सच और झूठ में अंतर समझते हैं।
डॉ. अनिल सिंह (पूरक प्रश्न):
लेकिन आनंद जी, क्या यह नैरेटिव दलित और अल्पसंख्यक मतदाताओं को भावनात्मक रूप से नहीं जोड़ सकता?
आनंद मोहन:
थोड़े समय के लिए भावनाएँ प्रभावित कर सकती हैं, लेकिन चुनाव का फ़ैसला अंततः भरोसे और विकास पर होता है। जनता चाहती है विकास, न कि डर।
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एनडीए के भीतर उठते सवाल
डॉ. अनिल सिंह:
लवली जी, नीतीश कुमार एनडीए का चेहरा हैं। लेकिन चिराग़ पासवान ने कहा है कि वे सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेंगे। क्या यह एनडीए के लिए खतरे की घंटी नहीं?
लवली आनंद:
नहीं। यह बग़ावत नहीं, बल्कि दबाव की राजनीति है। नीतीश जी के नेतृत्व में बिहार बदला है—सड़कें बनीं, बिजली पहुँची, क़ानून व्यवस्था सुधरी। जनता उन्हें भरोसेमंद मानती है। चिराग़ अंततः एनडीए के साथ ही रहेंगे।
डॉ. अनिल सिंह (प्रति-प्रश्न):
लेकिन अगर चिराग़ सचमुच उम्मीदवार उतारते हैं तो एनडीए का नुक़सान नहीं होगा?
लवली आनंद:
जनता स्थिरता चाहती है। विपक्ष की बिखराहट का सीधा फ़ायदा एनडीए को ही मिलेगा।
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विकास बनाम ज़मीनी सच्चाई
डॉ. अनिल सिंह:
बिहार में आज सड़क और बिजली हैं, लेकिन शिक्षा, स्वास्थ्य और रोज़गार में राज्य अब भी पिछड़ा है। क्या नीतीश कुमार नाकाम रहे?
आनंद मोहन:
नहीं। बिहार की विकास दर 12.5% है—जो राष्ट्रीय औसत से अधिक है। स्कूल, अस्पताल, पर्यटन और कृषि आधारित उद्योग तेज़ी से बढ़ रहे हैं। आने वाले पाँच सालों में खनिज, ऊर्जा और सौर ऊर्जा पर निवेश होगा, जिससे रोज़गार बढ़ेंगे।
डॉ. अनिल सिंह (पूरक प्रश्न):
फिर भी युवा दिल्ली, मुंबई और बंगलुरु जा रहे हैं। क्या यह अधूरी कहानी नहीं?
आनंद मोहन:
पलायन बिहार की ऐतिहासिक समस्या है। पहली बार इसमें गिरावट आई है। जैसे-जैसे उद्योग लगेंगे, यह प्रवृत्ति और घटेगी।
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नीतीश कुमार की छवि पर
डॉ. अनिल सिंह:
आलोचक नीतीश कुमार को “पलटीबाज़” कहते हैं। क्या अगर एनडीए हारता है तो वे फिर पाला बदलेंगे?
लवली आनंद:
यह ग़लत धारणा है। नीतीश जी ने हमेशा बिहार को प्राथमिकता दी है। एनडीए के साथ उनकी साझेदारी मज़बूत है। वे अवसरवादी नहीं, व्यावहारिक नेता हैं।
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जातीय समीकरण और वोट बैंक
डॉ. अनिल सिंह:
यादव RJD के साथ हैं, सवर्ण BJP के साथ, अल्पसंख्यक बँटे हुए हैं। नीतीश जी के पास अब कौन-सा ठोस वोट बैंक है?
आनंद मोहन:
अत्यंत पिछड़ा वर्ग (EBC) उनकी सबसे बड़ी ताक़त हैं। पसमान्दा मुस्लिमों को भी नीतीश जी के शासन में राजनीतिक भागीदारी मिली है। यही उनकी स्थायी राजनीतिक पूँजी है।
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छोटे नेता और नए प्रयोग
डॉ. अनिल सिंह:
प्रशांत किशोर, चिराग़ पासवान, जीतन राम मांझी—क्या ये चुनौती हैं या वोट काटने वाले?
लवली आनंद:
ये अधिकतम वोट बाँट सकते हैं। असली जंग एनडीए और INDIA गठबंधन के बीच है।
डॉ. अनिल सिंह (पूरक प्रश्न):
लेकिन प्रशांत किशोर युवाओं को डेटा और सर्वे से जोड़ रहे हैं। क्या यह जाति और धनबल को चुनौती दे पाएगा?
आनंद मोहन:
राजनीति केवल डेटा से नहीं चलती। जनता से जुड़ाव ज़रूरी है। बिना संगठन और कार्यकर्ताओं के, केवल बौद्धिक अभियानों से चुनाव नहीं जीते जाते।
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धर्म, धरोहर और विकास
डॉ. अनिल सिंह:
लवली जी, आपने संसद में पुनौरा धाम का मुद्दा उठाया। क्या यह विकास है या धर्म की राजनीति?
लवली आनंद:
यह पहचान और विकास दोनों है। पुनौरा धाम माता सीता की जन्मभूमि है। इसके लिए ₹1,400 करोड़ की स्वीकृति मिली है। इससे पर्यटन, रोज़गार और वैश्विक पहचान मिलेगी।
आनंद मोहन (जोड़ते हुए):
यह मिथिला के लिए गर्व और आर्थिक अवसर दोनों है। नेपाल के जनकपुर से रामायण सर्किट में इसका जुड़ाव होगा। इससे सड़कें, रेलवे और हवाई सेवाएँ सुधरेंगी।
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जनता के ज्वलंत सवाल
डॉ. अनिल सिंह:
दो सीधे सवाल जनता के—
1. महंगाई हर घर की समस्या है। बिहार का ग़रीब कहता है कि सरकार ने उसे छोड़ दिया है। आपका क्या कहना है?
लवली आनंद:
महंगाई वैश्विक समस्या है। लेकिन बिहार सरकार ने मुफ़्त राशन, पेंशन और छात्राओं की शिक्षा जैसी योजनाएँ दी हैं। यह ग़रीबों के लिए सुरक्षा कवच है।
2. शराबबंदी पर विवाद है। कहा जा रहा है कि इससे काला बाज़ार और भ्रष्टाचार बढ़ा है। क्या इसकी समीक्षा होगी?
आनंद मोहन:
शराबबंदी का उद्देश्य परिवारों को बचाना था। हाँ, लागू करने में कमियाँ हैं। आने वाले समय में सख़्ती और व्यावहारिक सुधार दोनों होंगे।
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भविष्य की संभावनाएँ
डॉ. अनिल सिंह:
आनंद जी, अगले पाँच सालों की प्राथमिकताएँ क्या होनी चाहिए?
आनंद मोहन:
अब बिहार को ज्ञान और उद्योग पर ध्यान देना होगा। युवाओं की आबादी राज्य की सबसे बड़ी पूँजी है। स्किल डेवलपमेंट, डिजिटल टेक्नोलॉजी, IT हब, कृषि आधारित उद्योग और सौर ऊर्जा से बिहार की तस्वीर बदलेगी।
डॉ. अनिल सिंह (लवली जी से):
लवली जी, महिलाओं की भूमिका आप कैसे देखती हैं?
लवली आनंद:
महिलाएँ पंचायत से विधानसभा तक पहुँची हैं। नीतीश जी की योजनाओं ने लड़कियों को शिक्षा दी, अब उन्हें रोज़गार और उद्यमिता में भी समान अवसर देना होगा। यही बिहार की सामाजिक क्रांति होगी।
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राष्ट्रीय राजनीति पर असर
डॉ. अनिल सिंह:
क्या बिहार का यह चुनाव राष्ट्रीय राजनीति को भी प्रभावित करेगा?
आनंद मोहन:
बिलकुल। बिहार ने हमेशा दिशा दी है—जेपी आंदोलन से लेकर मंडल तक। अगर एनडीए जीतता है तो यह मोदी सरकार को 2029 तक मज़बूती देगा। अगर INDIA अच्छा प्रदर्शन करता है तो विपक्ष को नई ऊर्जा मिलेगी।
लवली आनंद:
बिहार सिर्फ़ संख्या का खेल नहीं, बल्कि नैरेटिव तय करने वाला राज्य है। अगर यहाँ विकास बनाम डर की बहस साफ होती है तो वही मुद्दे आने वाले लोकसभा चुनावों पर भी असर डालेंगे।
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समापन
डॉ. अनिल सिंह:
तो निष्कर्ष साफ है—बिहार 2025 का चुनाव जातीय अंकगणित से आगे बढ़कर भविष्य की दिशा तय करने वाली जंग है। एक तरफ़ INDIA गठबंधन का संदेश है कि लोकतंत्र और मताधिकार संकट में हैं, वहीं दूसरी तरफ़ एनडीए नीतीश कुमार के स्थिर शासन और विकास का दावा कर रहा है।
यह चुनाव केवल बिहार की सत्ता का फ़ैसला नहीं करेगा, बल्कि देश की राजनीति की दिशा भी तय कर सकता है।
टॉप स्टोरी के इस विशेष साक्षात्कार में शामिल होने के लिए आनंद मोहन जी और लवली आनंद जी, आपका हार्दिक धन्यवाद।