Metro In Dino Review: रिश्तों की रफ्तार को बखूबी पकड़ती है ‘मेट्रो इन दिनों’, अनुराग बसु की संवेदनशील कहानी
Metro In Dino Review: अनुराग बसु की ‘मेट्रो इन दिनों’ रिश्तों की पेचीदगियों को चार शहरों की अलग-अलग कहानियों में खूबसूरती से पेश करती है। जानें फिल्म में किसका प्रदर्शन रहा दमदार।

Metro In Dino Review: अनुराग बसु की ‘मेट्रो इन दिनों’ रिश्तों की पेचीदगियों को चार शहरों की अलग-अलग कहानियों में खूबसूरती से पेश करती है। जानें फिल्म में किसका प्रदर्शन रहा दमदार।
Metro In Dino Review: रिश्तों की नई परतें खोलती है अनुराग बसु की ये मेट्रो यात्रा
Metro In Dino Review की बात करें तो निर्देशक अनुराग बसु की यह फिल्म रिश्तों, प्यार, समझौतों और भावनाओं की उस जटिल लेकिन खूबसूरत कहानी को सामने लाती है जो आज की दौड़ती-भागती मेट्रो सिटीज़ में और भी गहराई से महसूस होती है। साल 2007 की ‘लाइफ इन अ मेट्रो’ के 18 साल बाद आई ये फिल्म एक बार फिर दिखाती है कि इंसानी रिश्ते वक्त के साथ कैसे बदलते हैं और फिर भी कैसे बचे रहते हैं।
Metro In Dino कहानी: 4 शहर, 5 कहानियां, 1 एहसास
फिल्म की कहानी मुंबई, दिल्ली, कोलकाता और बेंगलुरु जैसे शहरों से जुड़ी चार प्रमुख कपल्स के इर्द-गिर्द घूमती है। हर कहानी का भाव अलग है, लेकिन केंद्र में प्यार और रिश्तों की उलझनें हैं।
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कोंकणा सेन शर्मा और पंकज त्रिपाठी का रिश्ता आज के शादीशुदा जोड़ों की उन खामोश दरारों को दिखाता है, जो बाहर से दिखाई नहीं देतीं।
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नीना गुप्ता और अनुपम खेर पुराने प्यार और शादी के बाद के समझौतों की भावनात्मक यात्रा पर ले जाते हैं।
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सारा अली खान और आदित्य रॉय कपूर युवा पीढ़ी के कन्फ्यूजन, कनेक्शन और करियर की टकराहट को दर्शाते हैं।
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अली फजल और फातिमा सना शेख करियर और मातृत्व के बीच जूझते एक कपल की कहानी कहते हैं।
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साथ ही अनुपम खेर और उनकी विधवा बहू की कहानी भावुक कर जाती है, जो बिना कहे ही रिश्तों की गहराई बता जाती है।
हर कहानी एक-दूसरे से जुड़ती है, और फिल्म रिश्तों की एक भावनात्मक ट्रेन जैसी बन जाती है।
Metro In Dino एक्टिंग: अनुभव और ऊर्जा का संगम
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अनुपम खेर हमेशा की तरह दमदार, एक सुलझे ससुर और पुराने प्रेमी दोनों रूपों में प्रभावशाली।
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नीना गुप्ता ने सहजता से भावनाओं को जीवंत किया, स्क्रीन पर वो हर पल भरोसेमंद लगीं।
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कोंकणा सेन शर्मा की परतदार भूमिका में उनका अभिनय उत्कृष्ट रहा।
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पंकज त्रिपाठी ने इरफान की छवि को सम्मान देते हुए अपने किरदार को आत्मसात किया।
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फातिमा सना शेख ने सीमित स्कोप में भी अच्छा काम किया, भविष्य में और बेहतर कर सकती हैं।
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आदित्य रॉय कपूर अपने अंदाज़ में सहज रहे लेकिन कोई नया आयाम नहीं दिखा पाए।
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सारा अली खान, फिल्म की सबसे कमजोर कड़ी, भावनात्मक दृश्यों में उनकी फ्लैट एक्सप्रेशन फिल्म की गति रोकते हैं।
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अली फजल अपनी भूमिका में डूबे हुए नजर आए, लेकिन डेजा वू जैसा अहसास दिलाते हैं।
Metro In Dino निर्देशन: अनुराग बसु का अनोखा जादू
अनुराग बसु का निर्देशन एक बार फिर भावनाओं और शहरों की धड़कनों से गूंथी हुई कहानी लेकर आया है। फिल्म में मेट्रो और शहरों की आत्मा को जिस तरह से पेश किया गया है, वह दिल छू जाता है। हालांकि, कहानी में कई जगह एडिटिंग टाइट होनी चाहिए थी, और कुछ कहानियां जल्दबाज़ी में खत्म कर दी गईं।
Metro In Dino संगीत: अनुराग बसु की ताकत
फिल्म का संगीत एक भावनात्मक पुल की तरह काम करता है। अरिजीत सिंह और पापॉन की आवाज़ों ने दृश्यों को और भी गहराई दी है। म्यूजिकल नैरेशन की शैली कुछ दर्शकों को नया अनुभव दे सकती है, लेकिन यही फिल्म की खासियत भी है। गाने किरदारों की कहानी को आगे बढ़ाते हैं, ठीक वैसे ही जैसे ‘जग्गा जासूस’ में हुआ था।
कमजोर कड़ियां
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सारा अली खान का अभिनय पूरे अनुभव को प्रभावित करता है।
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8 किरदारों की कहानियों को जोड़ने में कहीं-कहीं भावनात्मक ठहराव की कमी महसूस होती है।
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एडिटिंग और स्क्रीन टाइम बैलेंस पर और ध्यान दिया जाता तो फिल्म और निखर सकती थी।
क्यों देखें ‘Metro In Dino’?
अगर आपको संवेदनशील, यथार्थवादी और भावनाओं से भरपूर फिल्में पसंद हैं, तो यह फिल्म आपके लिए है। रिश्तों, प्यार और जीवन की पेचीदगियों को समझने का एक खूबसूरत मौका है ये फिल्म। इसे देखकर आप शायद अपने किसी रिश्ते पर दोबारा सोचें या पुराने प्यार को याद करें।
Rating: ⭐⭐⭐🌟 (3.5/5)