
नई दिल्ली, 29 जून : अस्पतालों को ड्रोन से रक्त आपूर्ति उतनी ही सुरक्षित और विश्वसनीय है जितनी सड़क मार्ग से होती है। यह ना सिर्फ बड़ी सर्जरी, सड़क दुर्घटना और प्रसव के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव से पीड़ित मरीजों के लिए वरदान साबित हो सकती है। बल्कि देश के स्वास्थ्य सेवा इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत बनाने में भी मदद कर सकती है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं ड्रोन परियोजना के प्रभारी डॉ. सुमित अग्रवाल ने बताया कि ड्रोन से अस्पतालों को रक्त आपूर्ति के मामले में भारत दुनिया के अग्रणी देशों में शामिल हो गया है। अब देश सामान्य रक्त ही नहीं बल्कि रक्त के चारों कंपोनेंट की सुरक्षित आपूर्ति कर रहा है। जिनमें संपूर्ण रक्त (350 एमएल), रेड ब्लड सेल (350 एमएल), फ्रेश फ्रोजन प्लाज्मा (60 एमएल) और प्लेटलेट्स (100 एमएल) शामिल हैं।
डॉ. अग्रवाल ने बताया, ड्रोन से रक्त आपूर्ति सेवा की सफलता के मद्देनजर, आईसीएमआर अब राष्ट्रीय रक्त आधान परिषद (एनबीटीसी) के साथ मिलकर कुछ चुनिंदा दुर्गम क्षेत्रों में पायलट परीक्षण की योजना बना रहा है। इस पृष्ठभूमि में किए गए पायलट परीक्षण से भविष्य की मार्गदर्शिका (गाइडलाइंस) तैयार करने में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त होगी। उन्होंने कहा, ड्रोन डिलीवरी से ना सिर्फ रक्त को तेजी से अस्पताल पहुंचाया जा सकता है। बल्कि आपातकालीन स्थितियों में मरीज का जीवन भी बचाया जा सकता है।
ड्रोन से रक्त आपूर्ति सुरक्षित
करीब 40 किमी की दूरी पर मौजूद विभिन्न अस्पतालों को ड्रोन से भेजे गए रक्त के 60 से ज्यादा सैंपल की स्टडी करने के बाद विशेषज्ञों की टीम ने पाया कि सभी सैंपल वैज्ञानिक मानकों पर खरे और सुरक्षित हैं। ना उनमें क्लॉट थे और ना ही ब्लड कोशिकाओं के मेंब्रेन को कोई नुकसान पहुंचा था। साथ ही रक्त के पोटेशियम और एलडीएच के लेवल भी अच्छे थे। यानि ड्रोन से अस्पताल में रक्त की आपूर्ति करने से रक्त में कोई खराबी नहीं आती है। इस स्टडी में आईसीएमआर मुख्यालय के डॉ. सुमित अग्रवाल के अलावा लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज, जेआईआईटी नोएडा और जीआईएमएस नोएडा के विशेषज्ञ भी शामिल थे।
रक्त आपूर्ति के लिए स्पेशल बैग ?
ड्रोन से रक्त आपूर्ति के लिए आईसीएमआर ने मेक इन इंडिया पहल के तहत एक इंसुलेटेड सॉफ्ट ब्लड कैरियर बैग विकसित किया है और इसका डिजाइन भी स्वयं बनाया है। इसमें रक्त के पाउच और आइस पैक को अलग -अलग जेबों में रखा जाता है ताकि वे सीधे संपर्क में ना रहें। बैग में थर्मामीटर भी लगाया गया है जो अंदर की कूलिंग का टेंपरेचर बताता है। यह बैग वाइब्रेशन और तेज झटके झेलने में सक्षम है जबकि सड़क मार्ग से रक्त आपूर्ति के दौरान झटके और वाइब्रेशन नियंत्रित करने का कोई उपाय नहीं होता है।