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Rajiv Gandhi Death Anniversary:  क्यों LTTE ने की थी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री की हत्या?

Rajiv Gandhi Death Anniversary: राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को श्रीपेरंबुदूर में आत्मघाती हमले में हुई थी। जानिए क्यों नाराज़ था एलटीटीई और कैसे हुई थी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या।

Rajiv Gandhi Death Anniversary: राजीव गांधी की हत्या 21 मई 1991 को श्रीपेरंबुदूर में आत्मघाती हमले में हुई थी। जानिए क्यों नाराज़ था एलटीटीई और कैसे हुई थी भारत के पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या।

Rajiv Gandhi Death Anniversary:  क्यों LTTE ने की थी भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री की हत्या?

Rajiv Gandhi की हत्या: 21 मई 1991 की वो भयावह रात

21 मई 1991 को भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एक आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। यह हमला तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में एक चुनावी रैली के दौरान हुआ, जब एलटीटीई (लिबरेशन टाइगर्स ऑफ तमिल ईलम) की महिला आत्मघाती हमलावर थेनमोझी रजरत्नम ने माला पहनाने के बहाने उनके पास जाकर विस्फोट कर दिया। इस हमले में राजीव गांधी समेत 14 अन्य लोग मारे गए।

प्रधानमंत्री बनने की शुरुआत

इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 1984 में मात्र 40 वर्ष की उम्र में Rajiv Gandhi भारत के सबसे युवा प्रधानमंत्री बने। उन्होंने देश को आधुनिकता की ओर ले जाने का प्रयास किया और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाया। उनकी नीतियां भविष्य की ओर झुकी हुई थीं और उन्होंने कंप्यूटर, दूरसंचार और शिक्षा के क्षेत्र में कई अहम फैसले लिए।

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LTTE और भारत के संबंध

एलटीटीई की स्थापना 1976 में वेलुपिल्लई प्रभाकरन ने की थी, जिसका उद्देश्य था श्रीलंका में एक अलग तमिल राष्ट्र की स्थापना। शुरू में भारत ने तमिलों की सहानुभूति के आधार पर कुछ हद तक इन गुटों को समर्थन भी दिया। इंदिरा गांधी के कार्यकाल में भारत की खुफिया एजेंसियों ने तमिल गुरिल्ला गुटों को ट्रेनिंग भी दी।

शांति सेना भेजना बना वजह

1987 में भारत और श्रीलंका के बीच हुए समझौते के बाद Rajiv Gandhi ने इंडियन पीस कीपिंग फोर्स (IPKF) को श्रीलंका भेजा, ताकि हिंसा को रोका जा सके और एलटीटीई को निरस्त्र किया जा सके। पहले तो एलटीटीई ने इसका स्वागत किया, लेकिन बाद में उन्होंने इसे भारत का हस्तक्षेप मानकर विरोध शुरू कर दिया और भारतीय सेना के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी।

एलटीटीई की नाराज़गी

Rajiv Gandhi  द्वारा IPKF भेजे जाने से एलटीटीई काफी नाराज़ हो गया था। जब 1989 में कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, तब भी एलटीटीई को डर था कि यदि राजीव गांधी फिर से प्रधानमंत्री बने, तो वह एक बार फिर सेना को श्रीलंका भेज सकते हैं। इसीलिए उन्होंने राजीव गांधी की हत्या की साजिश रची।
Remembering Rajiv Gandhi on his 33rd death anniversary

आत्मघाती हमला और हत्या

21 मई 1991 को चुनाव प्रचार के दौरान जब Rajiv Gandhi तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर पहुंचे, तब एक आत्मघाती हमलावर महिला—थेन्मोझी उर्फ गायत्री—ने माला पहनाने के बहाने उनके पास जाकर विस्फोटक उपकरण से खुद को उड़ा लिया। इस हमले में न केवल राजीव गांधी, बल्कि 14 और लोग मारे गए।

नतीजा और इतिहास में दर्ज यह दिन

Rajiv Gandhi की हत्या भारतीय राजनीति के इतिहास में एक गहरे सदमे के रूप में दर्ज है। उनकी मौत के बाद भारत सरकार ने एलटीटीई को आतंकी संगठन घोषित कर दिया और इसका नेटवर्क धीरे-धीरे कमजोर होता गया।

Rajiv Gandhi की हत्या एक ऐसी घटना थी जिसने न केवल भारत को, बल्कि पूरी दुनिया को झकझोर दिया। एक युवा, दूरदर्शी नेता की असमय मौत ने देश की राजनीति की दिशा ही बदल दी। आज, उनकी पुण्यतिथि पर देश उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करता है और उस दिन को याद करता है जिसने भारत को एक बड़ा घाव दिया।

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