नई दिल्ली, 14 जनवरी : देश में ह्यूमन मेटान्यूमोवायरस (एचएमपीवी) से संक्रमित 18 मामले सामने आए हैं जिनमें 5 साल से कम उम्र के बच्चों की संख्या सर्वाधिक है।
दरअसल, सोमवार को पुडुचेरी में एक और बच्चा एचएमपीवी से संक्रमित पाया गया है। इससे पहले 3 और 5 साल के दो बच्चे संक्रमित पाए गए थे। एचएमपीवी के सबसे ज्यादा 4 मामले गुजरात में हैं। महाराष्ट्र में 3, कर्नाटक और तमिलनाडु में 2-2, यूपी, राजस्थान, असम और बंगाल में एक-एक केस सामने आया है। एचएमपीवी से संक्रमित होने पर मरीजों में सर्दी और कोविड-19 जैसे लक्षण दिखाई देते हैं जिसका सबसे ज्यादा असर छोटे बच्चों में देखा जा रहा है।
इस संबंध में एम्स दिल्ली के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के प्रो डॉ संजय राय ने बताया कि देश में फ्लू के बढ़ते मामलों की वजह आरएसवी और एचएमपीवी हैं। डॉ राय ने कहा, नवजात या कम उम्र के बच्चे संक्रमण के सबसे पहले शिकार इसलिए बनते हैं। चूंकि उनमें इम्युनिटी या रोग प्रतिरोधक क्षमता ही नहीं होती। यह क्षमता, बच्चों में धीरे -धीरे और समय बीतने के साथ विकसित होती है। अक्सर पांच वर्ष की आयु तक बच्चों में विभिन्न रोगों के खिलाफ एंटीबॉडी विकसित हो जाती हैं जो उन्हें रोगों का सामना करने में सक्षम बनाती हैं।
डॉ राय ने कहा, एचएमपीवी संक्रमण से बचाव के लिए छोटे बच्चों विशेषकर पांच वर्ष तक की आयु वाले बच्चों, बुजुर्गों और कमजोर इम्यूनिटी वाले अन्य लोगों का खास ध्यान रखने की जरूरत है। उन्हें ठंड से बचाएं और आसपास का माहौल स्वच्छ रखें। उन्होंने कहा, इस मौसम में इन्फ्लूएंजा के वायरस का एक्टिव होना सामान्य है। एचएमपीवी से संक्रमित व्यक्ति को खांसी और बुखार जैसे लक्षण आते हैं जो एक से दो हफ्ते में स्वतः चले जाते हैं। उन्होंने कहा, अपवाद स्वरुप एचआईवी को छोड़ दें तो दुनिया में वायरस का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है।
उधर, केंद्र सरकार का कहना है कि सर्दी के मौसम में फ्लू जैसे मामलों में वृद्धि होना सामान्य है। चीन के मामलों पर भी नजर रखी जा रही है और विश्व स्वास्थ्य संगठन से चीन की स्थिति के बारे में समय-समय पर अपडेट देने को कहा गया है। वहीं, राज्य सरकारों को ‘इन्फ्लूएंजा लाइक इलनेस’ (आईएलआई) और ‘सीवर एक्यूट रेस्पिरेटरी इश्यूज’ (एसएआरआई) जैसी सांस की बीमारियों की निगरानी बढ़ाने और एचएमपीवी के बारे में जागरूकता फैलाने का परामर्श दिया गया है।
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