MahaKumbh 2025: महाकुंभ 2025 में सफाईकर्मियों की मेहनत और आस्था का संगम। ‘मैदानसाफ’ स्लोगन के साथ सफाईकर्मी आयोजन को सफल बनाने में जुटे हैं।
MahaKumbh 2025: आस्था और सेवा का अद्भुत संगम
महाकुंभ 2025 का शुभारंभ 13 जनवरी सोमवार से हो चुका है। त्रिवेणी संगम पर सनातन के इतिहास का एक नया अध्याय लिखा जा रहा है। यहां आस्था और सेवा का ऐसा नजारा है जो हर किसी के दिल को छू जाता है। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ और एक साफ-सुथरे माहौल के पीछे सफाईकर्मियों की कड़ी मेहनत और गंगा मैया के प्रति उनकी आस्था छुपी हुई है।
MahaKumbh 2025: ‘मैदानसाफ’: सफाईकर्मियों की प्रेरणा और आस्था
महाकुंभ में काम कर रहे सफाईकर्मियों की पीठ पर चमकते अक्षरों में लिखा “मैदानसाफ” सिर्फ एक स्लोगन नहीं, बल्कि उनकी मेहनत और समर्पण का प्रतीक है।
दिनेश मेट की कहानी:
- स्थान: बांदा जिले से आए दिनेश मेट, संगम के किनारे सफाई का कार्य करते हैं।
- कार्य: पॉलीथिन, चाय के कप जैसी गंदगी को कूड़ेदान में डालना और निर्धारित स्थान तक पहुंचाना।
- प्रेरणा: दिनेश का कहना है, “यह कुंभ है, यहां आना और सेवा करना सौभाग्य की बात है।”
MahaKumbh 2025: रोशनी और मोना की समर्पण भरी सेवा:
- स्थान: रोशनी और मोना सिहाब (बांदा) से आई हैं।
- वेतन: लगभग ₹12,000 मासिक।
- आस्था: गंगा मैया के काम को सबसे पवित्र मानती हैं।
MahaKumbh 2025: सफाईकर्मियों की दिन-रात मेहनत
सफाईकर्मी केवल घाटों तक सीमित नहीं हैं। कुंभ मेले की सड़कों, तंबुओं और गलियों में भी ये लोग लगातार सफाई कर रहे हैं। झाड़ू लगाना, कचरा इकट्ठा करना और गंदगी को सही स्थान पर पहुंचाना, ये सभी कार्य बड़ी मेहनत और लगन से किए जा रहे हैं।
MahaKumbh 2025: महाकुंभ में सफाई का महत्व
महाकुंभ जैसे विशाल आयोजन में सफाईकर्मियों का योगदान अनमोल है।
- श्रद्धालुओं के लिए संदेश: सफाईकर्मियों के इस समर्पण को समझें और सहयोग करें।
- सफाई और आस्था का मेल: ‘मैदानसाफ’ स्लोगन के पीछे न केवल साफ-सफाई, बल्कि आस्था और सेवा का भाव छिपा है।
निष्कर्ष
महाकुंभ 2025 में ‘मैदानसाफ’ स्लोगन के साथ सफाईकर्मियों का योगदान इस आयोजन को सफल और यादगार बना रहा है। उनकी मेहनत और आस्था हमें यह सिखाती है कि कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता। यदि आप कुंभ मेले में शामिल हो रहे हैं, तो इन सफाईकर्मियों की मेहनत को नजरअंदाज न करें और स्वच्छता बनाए रखने में सहयोग दें।