सेना ने जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए स्थापित की एक और लैब
- दुर्लभ आनुवंशिक विकारों का हो सकेगा सटीक निदान

नई दिल्ली/पुणे, 27 जून : सशस्त्र बल चिकित्सा सेवाओं के महानिदेशक और सेना चिकित्सा कोर के वरिष्ठ कर्नल कमांडेंट लेफ्टिनेंट जनरल दलजीत सिंह ने वीरवार को नई जीनोम सीक्वेंसिंग लैब का उद्घाटन किया। नई लैब अत्याधुनिक नेक्स्ट जनरेशन सीक्वेंसिंग (एनजीएस) सुविधाओं से सुसज्जित है, जिसमें उन्नत नेक्स्टसेक 2000 और मिनिसेक विश्लेषक शामिल हैं। इस सुविधा से जहां ग्राउंड ब्रेकिंग मेडिकल रिसर्च और बेहतर डायग्नोस्टिक्स संपन्न किए जा सकेंगे। वहीं, स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में बेहतर परिणाम मिल सकेंगे।
दरअसल, एनजीएस तकनीक का विभिन्न स्वास्थ्य सेवा क्षेत्रों में व्यापक अनुप्रयोग किया जाता है, जिनमें वंशानुगत रोग, कैंसर चिकित्सा, प्रत्यारोपण चिकित्सा और प्रजनन चिकित्सा शामिल हैं। यह उन्नत तकनीक दुर्लभ आनुवंशिक विकारों के सटीक निदान, घातक बीमारियों के आणविक पूर्वानुमान और अंग प्रत्यारोपण को सुविधाजनक बनाकर एएफएमएस की क्षमताओं को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ाती है। यह सेना की दूसरी लैब है जो वीरवार को पुणे के सशस्त्र बल चिकित्सा महाविद्यालय (एएफएमसी) में स्थापित की गई है। इससे पहले बीते जनवरी माह में दिल्ली के आर्मी हॉस्पिटल (रिसर्च एंड रेफरल) में भी एनएसजी लैब स्थापित की जा चुकी है।