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Noida Air Pollution: नोएडा में हवा की गुणवत्ता चिंताजनक, पानी के छिड़काव से भी नहीं हुआ सुधार, देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना नोएडा

Noida Air Pollution: नोएडा में हवा की गुणवत्ता चिंताजनक, पानी के छिड़काव से भी नहीं हुआ सुधार, देश का दूसरा सबसे प्रदूषित शहर बना नोएडा

नोएडा। सड़कों और पेड़-पौधों पर किए जा रहे पानी के छिड़काव और स्प्रिंकलर के प्रयासों के बावजूद नोएडा और ग्रेटर नोएडा में वायु प्रदूषण का स्तर नियंत्रित नहीं हो पाया है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और नोएडा प्राधिकरण की टीम लगातार शहर में घूम-घूमकर प्रदूषण कम करने का प्रयास कर रही है, लेकिन इन उपायों का कोई विशेष असर नहीं दिख रहा है। मंगलवार को नोएडा का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 373 और ग्रेटर नोएडा का 364 दर्ज किया गया, जो “बेहद खराब” श्रेणी में आता है।

विशेषज्ञों और अधिकारियों का कहना है कि नोएडा देश के सबसे प्रदूषित शहरों में दूसरे स्थान पर है। पिछले 23 दिनों में नोएडा और ग्रेटर नोएडा में AQI लगातार “बेहद खराब” और “गंभीर” श्रेणी में बना हुआ है। इसके कारण नागरिकों ने मास्क पहनना शुरू कर दिया है। लोगों का मानना है कि प्रदूषित हवा से बचाव के लिए मास्क का उपयोग अनिवार्य हो गया है।

हालांकि, ग्रेप 3 की पाबंदियों के बावजूद निर्माण कार्यों पर नियंत्रण करना मुश्किल साबित हो रहा है। कई कंस्ट्रक्शन साइट्स पर निर्माण सामग्री खुले में रखी हुई है, जिससे धूल और मिट्टी हवा में उड़ती रहती है। सामाजिक कार्यकर्ता अमित गुप्ता ने बताया कि सेक्टर 1 के मुख्य मार्ग पर खुले में पड़े मिट्टी के ढेर के लिए कई बार प्रदूषण विभाग को शिकायत की गई, लेकिन विभाग ने कोई कार्रवाई नहीं की। अधिकारी केवल कागजी कार्रवाई में व्यस्त दिख रहे हैं और नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं।

विशेष रूप से सेक्टर 125 में वायु गुणवत्ता बेहद चिंताजनक बनी हुई है। इस क्षेत्र का AQI 413 दर्ज किया गया, जो “गंभीर” श्रेणी में आता है। निर्माण कार्यों और वाहनों की आवाजाही के कारण मिट्टी हवा में बनी रहती है, जिससे लगातार वायु प्रदूषण बढ़ रहा है।

वर्तमान में शहर और आसपास के क्षेत्रों का AQI निम्नलिखित है:
हापुड़ – 389 (बेहद खराब)
नोएडा – 373 (बेहद खराब)
ग्रेटर नोएडा – 364 (बेहद खराब)
दिल्ली – 353 (बेहद खराब)
गाजियाबाद – 349 (बेहद खराब)

विशेषज्ञों का कहना है कि वायु प्रदूषण का यह स्तर स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा उत्पन्न कर रहा है, खासकर बच्चों, बुजुर्गों और सांस संबंधी रोगों से पीड़ित लोगों के लिए। उन्होंने नागरिकों से अपील की है कि वे घरों में शुद्ध हवा के लिए एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल करें और बाहर निकलते समय मास्क का उपयोग अवश्य करें।

प्राधिकरण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को कंस्ट्रक्शन साइट्स, खुले में पड़े मिट्टी और धूल के ढेरों पर तत्काल नियंत्रण और प्रभावी कार्रवाई करनी होगी, अन्यथा नोएडा वासियों के स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है।

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