नई दिल्ली, 29 अक्तूबर : स्ट्रोक, लकवा या मस्तिष्क पर आघात ‘समयबद्ध चिकित्सा की आपात स्थिति’ है जिसे साढ़े चार घंटे के भीतर ‘क्लॉट बस्टर’ दवा देकर ठीक किया जा सकता है। कभी -कभी क्लॉट या थक्का दवा से नहीं घुलता तब एंजियोग्राफी से एक तार डालकर क्लॉट को हटा दिया जाता है।
यह जानकारी एम्स के न्यूरो साइंसेज सेंटर के प्रमुख डॉ. शैलेश गायकवाड़ ने विश्व स्ट्रोक दिवस पर आयोजित सार्वजनिक व्याख्यान समारोह में दी। उन्होंने कहा, यह स्थिति तब होती है जब मस्तिष्क की खून की नली में रक्त का धक्का आने से रक्त के प्रवाह में बाधा आती है या जब मस्तिष्क में रक्त वाहिका फट जाती है। दोनों स्थितियों में, मस्तिष्क को नुकसान पहुंचता है।वहीं न्यूरोलॉजी विभाग की प्रमुख डॉ. मंजरी त्रिपाठी ने बताया कि स्ट्रोक एक आम बीमारी है। यह प्रति मिनट एक व्यक्ति को हो रही है। ऐसे में लोगों को अपनी जीवनशैली में बदलाव लाने के साथ नियमित स्वास्थ्य जांच कराना भी बेहद जरूरी है। अगर लकवा पीड़ित व्यक्ति को तीन से चार घंटे में क्लॉट बस्टर थेरेपी मिल जाये तो उसे जीवन पर्यन्त विकलांगता से बचाया जा सकता है। उन्होंने कहा,अगर आपको लकवे जैसे लक्षण आते हैं और आप 15 मिनट बाद सामान्य हो जाते हैं तो इसे चेतावनी समझें और डॉक्टर से संपर्क करें। देश में लकवा की अच्छी से अछि दवाइयां उपलब्ध है जिससे लकवा ठीक हो जाता है। हालांकि मामलों में रोगी को जीवन भर दवाओं का सेवन करना पड़ता है।
तीन प्रकार के होते हैं स्ट्रोक
पहला, इस्कीमिक स्ट्रोक -यह तब होता है जब खून की नलियों में रुकावट के कारण मस्तिष्क के किसी हिस्से में धमनी की कमी हो जाती है। दूसरा, क्षणिक इस्कीमिक दौरा- यह तब होता है जब मस्तिष्क में खून की नली में एक थक्का आ जाता है जिससे अस्थायी रूप से धमनी में रुकावट हो जाती है। तीसरा, रक्तस्रावी स्ट्रोक (हेमरेज)- यह तब होता है जब मस्तिष्क के अंदर खून की नली फट जाती है।
स्ट्रोक के लक्षण ?
संतुलन की समस्या, आंखों की रोशनी बंद हो जाना या देखने में असमर्थ होना, चेहरे में अचानक कमजोरी आना, हाथ पैर में कमजोरी, बोलने में कठिनाई और बात समझने में दिक्कत होना आदि।
स्ट्रोक होने पर क्या करें ?
‘देरी न करें’ तुरंत नजदीकी अस्पताल पहुंचे जहां सीटी स्कैन की सुविधा हो। यदि संभव हो तो पिछले सभी मेडिकल रिकॉर्ड ले जाएं।
स्ट्रोक से बचाव के लिए क्या करें ?
ब्लड प्रेशर की नियमित जांच कराएं, डायबिटीज को नियंत्रित करें, स्वस्थ आहार खाएं, अपने कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करें, नियमित रूप से व्यायाम करें। धूम्रपान छोड़े, शराब का सेवन बंद करें, तनाव को कम करें और डॉक्टर के साथ नियमित फॉलो-अप करें।
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