उत्तर प्रदेश, नोएडा: विशेषज्ञों की मदद से पार्क और हरित क्षेत्र में पानी बचाया जाएगा
उत्तर प्रदेश, नोएडा: विशेषज्ञों की मदद से पार्क और हरित क्षेत्र में पानी बचाया जाएगा

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा।शहर में पार्क, हरित क्षेत्र, लॉन आदि स्थानों पर नई विधि से बारिश के पानी को बचाया जाएगा। इस कार्य में पर्यावरण विशेषज्ञों, गैर सरकारी संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों की मदद ली जाएगी। सुझाव लेकर कंपनी के चयन के लिए निविदा जारी की जाएगी। ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जल संचयन प्रणाली को और मजबूत बनाने में जुटा हुआ है। अधिकारी के मुताबिक बारिश के पानी को बर्बाद होने से बचाने के लिए विशेषज्ञों के सुझावों पर जल संरक्षण की विधियों को आज की जरूरत के हिसाब से डिजाइन किया जाएगा।
इसके साथ ही वर्षा जल संचयन की मौजूदा स्थिति और सिंचाई व्यवस्था का मूल्यांकन कर उसमें सुधार किया किया जाएगा। पूर्व में रुचि की अभिव्यक्ति (ईओआई) जारी कर इस संबंध में सुझाव मांगे गए थे। इसमें कई एजेंसियों ने इच्छा जताई है। अधिकारी के मुताबिक विशेषज्ञों से प्राप्त सुझावों के आधार पर योजना को आगे बढ़ाया जाएगा। भूजल स्तर में गिरावट राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के शहरों में भूजल स्तर में साल दर साल गिरावट हो रही है। शहरीकरण का विस्तार होने से ज्यादा प्रभाव पड़ रहा है। ऐसे में भूजल स्तर में सुधार करना प्राधिकरण के सामने आज बड़ी चुनौती है। राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने भी इस संबंध में विशेष दिशा- निर्देश दिए हैं। ऐसे में ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण पार्क, हरित क्षेत्र और लॉन में वर्षा जल संचयन के लिए टिकाऊ समाधान पर काम करने की योजना पर काम शुरू कर दिया है। एसटीपी के पानी से सिंचाई ज्यादा से ज्यादा भूजल को बचाया जा सके इसके लिए सीवर के शोधित पानी से पार्कों और हरित क्षेत्र की सिंचाई शुरू कर दी गई है। कासना से ऐच्छर तक पाइप लाइन बिछाई जा चुकी है। सभी पार्कों और हरित क्षेत्र की लाइन बिछाने की योजना है। अभी सीवर के शोधित पानी को टैंकर में भरकर हरित क्षेत्र की सिंचाई में इस्तेमाल किया जा रहा है। पहल का उद्देश्य प्राधिकरण के अधिकारी के मुताबिक इस पहल का उद्देश्य जल संरक्षण को बढ़ावा देना, भूजल स्तर में वृद्धि, बारिश के पानी को बचाने की प्रणालियों के कार्यान्वयन के माध्यम से टिकाऊ शहरी बागवानी का समर्थन करना है। उल्लेखनीय है कि अभी टैंकर या बोरिंग कर पार्क और हरित क्षेत्र की सिंचाई की जाती है। बारिश के पानी को बचाने की कोई कारगर व्यवस्था नहीं है। वर्षा जल संचयन प्रणाली लागू है, लेकिन सख्ती से पालन नहीं कराया जा रहा है। कोट बारिश के पानी को बर्बाद होने से बचाने की योजना पर काम चल रहा है। इसके लिए वर्षा जल संचयन प्रणाली को आज की जरूरत के हिसाब से नए तरीके से डिजाइन किया जाएगा। पार्क और हरित क्षेत्र में नई विधियों को अपनाया जाएगा। पर्यावरण विशेषज्ञों और एनजीओ से मदद लेकर इस पहल को आगे बढ़ाया जाएगा। -श्रीलक्ष्मी वीएस, एसीईओ, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण।
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