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नई दिल्ली: समुद्र में तेल रिसाव की घटनाओं से निपटने में और सक्षम बनेगा आईसीजी 

नई दिल्ली: -देश की 75% से अधिक ऊर्जा आवश्यकताएं समुद्री मार्ग से तेल आयात के जरिये होती हैं पूरी

नई दिल्ली, 6 अक्तूबर : देश की 75% से अधिक ऊर्जा आवश्यकताएं समुद्री मार्ग से तेल आयात के जरिये पूरी होती हैं, इसलिए एक मजबूत राष्ट्रीय तेल रिसाव प्रतिक्रिया प्रणाली सुनिश्चित करना न केवल अनिवार्य है, बल्कि रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण भी है। यह बातें भारतीय तटरक्षक बल (आईसीजी) के महानिदेशक परमेश शिवमणि, एवीएसएम ने दो दिवसीय अभ्यास के समापन समारोह में सोमवार को चेन्नई में कही।

उन्होंने कहा, राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिकता योजना (एनओएसडीसीपी), समुद्री तेल रिसाव से निपटने के लिए भारत की तैयारियों को मजबूत करने की एक प्रमुख आधारशिला है। महानिदेशक शिवमणि ने कहा, आईसीजी तेल रिसाव प्रतिक्रिया के लिए केंद्रीय समन्वय प्राधिकरण के रूप में कार्य करता रहेगा, जो किसी भी समुद्री पर्यावरणीय घटना की स्थिति में त्वरित, प्रभावी और समन्वित कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।

वहीं नैटपोलरेक्स-एक्स, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता का प्रमाण है। इसने प्रदूषण प्रतिक्रिया तैयारियों में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को और मजबूत किया है और पर्यावरणीय प्रबंधन के लिए नए मानक स्थापित किए हैं। इस अभ्यास में 32 देशों के कुल 40 विदेशी पर्यवेक्षकों और 105 से अधिक राष्ट्रीय प्रतिनिधियों ने भाग लिया और 27वीं एनओएसडीसीपी बैठक के दौरान चर्चाओं में योगदान दिया।

आईसीजी ने अपनी तेल रिसाव प्रतिक्रिया क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए विभिन्न प्रकार की संपत्तियों का उपयोग किया, जिनमें प्रदूषण नियंत्रण पोत (पीसीवी), अपतटीय गश्ती पोत (ओपीवी), तीव्र गश्ती पोत (एफपीवी), हवाई निगरानी और प्रदूषण प्रतिक्रिया के लिए कॉन्फ़िगर किए गए चेतक और डोर्नियर विमान शामिल हैं। वर्तमान अभ्यास में मरीना बीच पर ग्रेटर चेन्नई कोऑपरेशन, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, एसडीएमए, पुलिस और तमिलनाडु प्रशासन की अन्य एजेंसियों द्वारा नकली घटना के हिस्से के रूप में पहली बार तटरेखा सफाई अभ्यास भी शामिल किया गया है।

गौरतलब है कि आईसीजी को भारत के समुद्री क्षेत्रों में समुद्री पर्यावरण की रक्षा की जिम्मेदारी 1986 से सौंपी गई है। आईसीजी द्वारा तैयार और 1993 में सचिवों की समिति द्वारा अनुमोदित राष्ट्रीय तेल रिसाव आपदा आकस्मिक योजना (एनओएसडीसीपी) भारत में तेल रिसाव की तैयारियों के लिए आधारभूत ढांचे के रूप में कार्य करती रही है। इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए, आईसीजी ने मुंबई, चेन्नई, पोर्ट ब्लेयर और वाडिनार में चार प्रदूषण प्रतिक्रिया केंद्र स्थापित किए हैं।

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