उत्तर प्रदेश, नोएडा: नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुरक्षा संभालेंगे 1030 CISF के जवान:इंडक्शन प्रोग्राम के तहत CEO और डीएम करेंगे हैंडओवर
उत्तर प्रदेश, नोएडा: पहले दिन शुरू हो जाएंगी कार्गो सेवा

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा।नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट की सुरक्षा व्यवस्था आज से केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) के हाथ में आ जाएगी। एयरपोर्ट परिसर में होने वाले इंडक्शन प्रोग्राम में यमुना इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड, जिला प्रशासन की मौजूदगी में सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआईएसएफ को सौंपगी। पहले फेज में सीआईएसएफ के 1030 जवान एयरपोर्ट पर तैनात रहेंगे।
इंडक्शन कार्यक्रम के तहत एयरपोर्ट परिसर में इंटरनेशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ राकेश कुमार सिंह, डीएम मेधा रुपम के साथ सीआईएसएफ के महानिदेशक राजविंदर सिंह भाटी मौजूद रहेंगे। इंटरनेशनल एयरपोर्ट के पहले फेज का काम 30 अक्टूबर में पूरा होगा। इसका उद्घाटन पीएम नरेंद्र मोदी करेंगे। उद्घाटन से 45 दिन के अंदर 10 शहरों के लिए उड़ान भी शुरू करने की तैयारी है।
एआई और 350 सीसीटीवी कैमरों से निगरानी
सीआईएसएफ के जवान नोएडा एयरपोर्ट परिसर और बाहर लगे 350 से अधिक सीसीटीवी कैमरों से निगरानी रखेंगे। इसके अलावा एआई बेस्ड हाई रेजुलेशन कैमरों से भी सीआईएसएफ सुरक्षा और निगरानी करेगी। एयरपोर्ट से उड़ान शुरू होने से पहले कार्गो हब का काम पूरा होगा। कुल 2.5 लाख मीट्रिक टन क्षमता के कार्गो हब का ढांचागत कार्य पूरा हो गया है। फिलहाल टेस्टिंग, सिस्टम जोड़ने समेत सरकारी मंजूरी की प्रक्रिया चल रही है।
डॉकिंग जोन तैयार
कार्गो हब के इंटीग्रेटेड वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स जोन में 42 ट्रकों की पार्किंग क्षमता वाला केंद्र और 27 भारी वाहनों के लिए डॉकिंग जोन तैयार हो चुके हैं। यह भारत के सबसे बड़े कार्गो हब में एक होगा, जहां कार्गो टर्मिनल के साथ फल-सब्जियों और दवाइयों के लिए अलग कोल्ड स्टोरेज , कूरियर टर्मिनल, विदेशी माल के लिए वेयरहाउस, ई-कॉमर्स लॉजिस्टिक पार्क, ड्राइवरों के आराम के लिए सेंटर आदि सुविधाएं होंगी।
पहले दिन से कार्गो फ्लाइट शुरू होगी
एयरपोर्ट पर पहले दिन से कार्गो फ्लाइट शुरू होगी। तभी से 50 मिलियन टन कार्गो का आयात निर्यात होने का अनुमान है। कार्गो हब उत्तर भारत को वैश्विक लॉजिस्टिक्स के नक्शे पर प्रमुख गेटवे के रूप में स्थापित करेगा। इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मास्युटिकल्स और एग्री प्रोडक्ट्स समेत अन्य क्षेत्रों में चाइना प्लस वन रणनीति के खिलाफ भारत का मजबूत विकल्प बन सकता है। इस हब में ई-कॉमर्स, फार्मा, इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल जैसे उद्योगों के लिए डेडिकेटेड जोन होंगे।