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बिहार-झारखंड में शिशु मृत्यु दर में आई कमी

-बिहार-झारखंड में संस्थागत प्रसव की संख्या 78.9% से बढ़कर 88.6% हुई

नई दिल्ली, 20 अक्तूबर: केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने रविवार को “मेडिसिन अपडेट बीजेएमएफकॉन 2024” का उद्घाटन किया। कार्यक्रम का आयोजन बिहार और झारखंड राज्यों के डॉक्टरों के सामाजिक-वैज्ञानिक संगठन बिहार और झारखंड मेडिकल फोरम (बीजेएमएफ) द्वारा आईटीसी मौर्या में किया गया था।

नड्डा ने बीजेएमएफ के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि आप सभी न केवल अपने लिए डॉक्टर बने हैं, बल्कि समाज को भी कुछ दिया है। उन्होंने आगे कहा, केंद्र सरकार सभी के लिए उच्च गुणवत्ता और सस्ती स्वास्थ्य सेवा सुविधाएँ सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रही है और सभी के लिए समग्र, समावेशी, निवारक, प्रोत्साहन, उपचारात्मक, उपशामक और पुनर्वास देखभाल प्रदान करने वाली व्यापक स्वास्थ्य नीति को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है।

उन्होंने कहा कि भारत में 1.73 लाख उच्च गुणवत्ता वाले आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं जो डिजिटल उच्च गुणवत्ता वाले मूल्यांकन से गुजरते हैं। इन आरोग्य मंदिरों में से, 10,716 बिहार में हैं, जहाँ 8.35 करोड़ लोग आते हैं और 4.36 करोड़ गैर-संचारी रोग (एनसीडी) जांच की जाती हैं, जबकि झारखंड में 3,825 आयुष्मान आरोग्य मंदिर हैं, जहां 2.33 करोड़ लोग आते हैं और 2.12 करोड़ एनसीडी जांच की जाती हैं। नड्डा ने कहा, देश में गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा की सुविधाओं को बढ़ाने के लिए बिहार के पटना के दरभंगा और झारखंड के देवघर में नए अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) खोले जाएंगे।

नड्डा के मुताबिक देश में माँ और बच्चे के स्वास्थ्य में की गई प्रगति के बाबत कहा कि मोदी सरकार के पहले 5 वर्षों में संस्थागत प्रसव 78.9% से बढ़कर 88.6% हो गए हैं। वहीं, शिशु मृत्यु दर (आईएमआर) में कमी आई है। भारत में आईएमआर 2020 में प्रति 1000 जीवित जन्मों पर 28 थी। बिहार में यह 2020 में 42 से घटकर 27 हो गई और झारखंड में 2020 में 34 से घटकर 25 हो गई।

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