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नई दिल्ली: हल्का बुखार- पेट में सूजन के लिए भर्ती श्रेयांस की 40 दिन बाद मौत

नई दिल्ली: -दिल्ली की सीएम और अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखकर लगाई न्याय की गुहार

नई दिल्ली, 15 जुलाई: हल्का बुखार और पेट में सूजन जैसी शिकायत के बाद लोकनायक अस्पताल (एलएनएच) में भर्ती पांच वर्षीय श्रेयांश की मौत डॉक्टरों की लापरवाही के चलते हुई है। इस आशय का आरोप लगाने के साथ पीड़ित के पिता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखकर न्याय की गुहार लगाई है।

पीड़ित श्रेयांश के पिता सुजीत कुमार दुबे ने कहा, दो असफल ऑपरेशन और इलाज में गंभीर अनदेखी के चलते श्रेयांश ने 40 दिनों तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद 15 जुलाई की शाम दम तोड़ दिया। उन्होंने अस्पताल पर गलत इलाज और गंभीर अनदेखी करने का आरोप लगाया है। सुजीत ने बताया, 29 मई की रात उनके बेटे श्रेयांश की तबीयत अचानक बिगड़ गई। उसे पेट में सूजन और कमजोरी के बाद लोकनायक अस्पताल में भर्ती कराया गया था। डॉक्टरों ने शुरुआती जांच में टाइफाइड बताया। परिवार के अनुसार, 30 मई को डॉक्टरों ने सिटी स्कैन जैसे जरूरी टेस्ट किए बिना, सिर्फ अल्ट्रासाउंड के आधार पर अचानक सर्जरी करने का फैसला ले लिया।

डॉक्टर ने खुद माना ऑपरेशन गलत जगह पर हो गया: परिवार
पिता सुजीत ने बताया, पहला ऑपरेशन डॉ सिम्मी रावत ने किया। आरोप है कि सर्जरी के बाद डॉक्टर ने खुद माना कि ऑपरेशन गलत जगह पर हो गया था। इससे भी गंभीर बात यह है कि 1 जून के बाद वह डॉक्टर श्रेयांश को देखने तक नहीं आई। पीड़ित परिवार को बताया गया कि वह अमेरिका चली गई है। इस ऑपरेशन के बाद श्रेयांश की हालत सुधरने की बजाय बिगड़ती चली गई। उसके पेट की सूजन बनी रही, टांकों से लगातार रिसाव होता रहा और वह तेज बुखार से तपता रहा। उन्होंने बताया, 20 दिन बाद 20 जून को सीनियर डॉक्टर ने यह कहकर दूसरी सर्जरी की, पहली सर्जरी ठीक नहीं हुई। इसके बाद उसकी हालत और भी खराब हो गई। उसका वजन घटकर मात्र 14 किलो रह गया, टांके खुल गए और परिवार यह जानकर सदमे में आ गया कि बच्चे की आंतें चार जगहों से खुली छोड़ दी गई थीं।

लापरवाही के कारण वेंटिलेटर पर तोड़ा दम
दो बड़ी सजरियों के बाद मासूम श्रेयांश पूरी तरह बिस्तर पर आ गया। जुलाई में उसकी हालत और नाजुक हो गई, प्लेटलेट्स गिरकर 9,000 रह गए और उसे निमोनिया हो गया। 14 जुलाई को उसकी छाती में पानी भर गया और उसे सांस लेने में दिक्कत होने लगी। परिवार का आरोप है कि उस शाम उन्होंने ड्यूटी पर मौजूद डॉक्टरों से बच्चे को देखने की बार-बार गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब हालत अधिक गंभीर हो गई तो बच्चे को वैंटिलेटर पर शिफ्ट कर दिया गया और कुछ देर बाद परिवार को जवाब दे दिया गया कि अब कुछ नहीं किया जा सकता।

दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
अपने बेटे को खो चुके सुजीत दुबे ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने श्रेयांश के पूरे इलाज और दोनों सर्जरी की निष्पक्ष जांच करने, दोषी डॉक्टरों की जवाबदेही तय करने और बच्चों के इलाज के लिए अस्पताल में बेहतर प्रोटोकॉल बनाने की मांग की है।

अस्पताल प्रशासन से नहीं मिला जवाब
इस मामले को लेकर अस्पताल के डायरेक्टर डॉ. बीएल चौधरी से संपर्क करने का प्रयास किया गया लेकिन उन्होंने ना कॉल रिसीव किया और ना मैसेज का जवाब किया। उनकी तरफ से इस मसले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई।

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