
नई दिल्ली, 16 अक्तूबर : सर्दी के चलते खांसी जुकाम से पीड़ित बच्चों की ‘ कफ सिरप ‘ के चलते हुई अकाल मौत के बाद केंद्र सरकार ने औषधि निर्माताओं की नकेल कसने का फैसला किया है। इसके तहत संसद के आगामी सत्र में ‘औषधि, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 2025’ नामक कानून लाया जाएगा जिससे दवा निगरानी प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाने में मदद मिलेगी।
दरअसल, मध्य प्रदेश और राजस्थान में कफ सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के बाद सरकार ने दवाओं, चिकित्सा उपकरणों और सौंदर्य प्रसाधनों के निर्माण, वितरण और बिक्री को विनियमित करने के लिए केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) को वैधानिक शक्तियां प्रदान करने का फैसला किया है।
सूत्रों के अनुसार, ‘औषधि, चिकित्सा उपकरण और सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 2025’ नामक प्रस्तावित कानून का उद्देश्य निर्माण से लेकर विपणन तक पूरी प्रक्रिया में जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है। यह विधेयक मौजूदा 1940 के अधिनियम का स्थान लेगा और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के अनुरूप होगा।
नए कानून के जरिये, सीडीएससीओ को देश में नकली या घटिया दवाओं के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने का अधिकार दिया जाएगा। लाइसेंसिंग प्रक्रिया को पूरी तरह से डिजिटल बनाने के साथ राज्य-स्तरीय नियामकों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित किया जाएगा। साथ ही प्रयोगशालाओं की क्षमता में वृद्धि की जाएगी। इससे जहां दवा निगरानी प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार आएगा। वहीं, पहले से अधिक कठोर और जवाबदेह व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकेगी।
गौरतलब है कि हाल के वर्षों में हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, तमिलनाडु, मध्यप्रदेश और राजस्थान जैसे राज्यों में दूषित कफ सिरप के कारण कई बच्चों की मौत हो चुकी है। पिछले हफ्ते भारत में 5 साल से कम उम्र के 17 बच्चों की मौत कफ सिरप पीने से हो गई थी। इसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते सोमवार को भारत में निर्मित कोल्ड्रिफ, रेस्पिफ्रेश टीआर और रीलाइफ नाम के तीन कफ सिरप के उपयोग और वितरण के विरुद्ध एक स्वास्थ्य परामर्श जारी किया है।