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उत्तर प्रदेश : सुप्रीम कोर्ट की वकील नाजिया इलाही का मथुरा दौरा, सनातन की रक्षा की अपील और मुगल-तोड़ मंदिरों की वापसी की मांग

Mathura News : सुप्रीम कोर्ट की जानी-मानी वकील नाजिया इलाही खान हाल ही में धर्मनगरी मथुरा पहुंचीं, जहां उन्होंने ‘धर्म रक्षा संघ’ द्वारा आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में भाग लिया। इस दौरान उन्होंने सनातन धर्म की रक्षा और देश में चल रहे मंदिर-मस्जिद विवाद पर बेहद तीखे और स्पष्ट बयान दिए, जिसने धार्मिक तथा राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है।

नाजिया इलाही ने संत समाज को धर्म की रक्षा की जिम्मेदारी अपने हाथ में लेने की भावुक अपील की। उन्होंने उपस्थित साधु-संतों से मुखातिब होते हुए कहा कि सनातन की रक्षा के लिए अब उन्हें ही आगे आना होगा और इस पुण्य कार्य का नेतृत्व करना होगा। उन्होंने जोर देते हुए सवाल किया, “आखिर कब तक हिन्दू समाज सोया रहेगा?”

वकील इलाही ने इस मौके पर सबसे बड़ा और विवादास्पद बयान मंदिर वापसी को लेकर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में अपनी मांग रखते हुए कहा, “हमें केवल कृष्ण जन्मस्थान ही नहीं चाहिए, बल्कि मुगलों ने जितने भी मंदिर तोड़कर मस्जिदें बनाई हैं, हमको वे सभी वापस चाहिए।” उन्होंने इसे देश की सांस्कृतिक विरासत को पुनः स्थापित करने की लड़ाई बताया।

इसके अतिरिक्त, उन्होंने हाल ही में एक गौ रक्षक की गिरफ्तारी पर भी गहरा दुख और विरोध प्रकट किया, और इसे धर्म-रक्षकों के खिलाफ अन्यायपूर्ण कार्रवाई करार दिया। नाजिया इलाही के इस दौरे और उनके तीखे बयानों ने मथुरा में एक नई बहस छेड़ दी है, जो सनातन और सांस्कृतिक विरासत की रक्षा के संकल्प पर केंद्रित है।

यह ध्यान देने योग्य है कि नाजिया इलाही ने पहले भी वक्फ बोर्ड को लैंड माफिया करार देते हुए इसे खत्म करने की मांग की थी ¹। उन्होंने कहा था कि वक्फ बोर्ड का जिक्र न तो संविधान में कहीं है और न ही कुरान में है, इसलिए इसे खत्म करना ही उचित है।

इस बीच, सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है जिसमें ‘द प्लेस ऑफ वर्शिप एक्ट 1991’ को खत्म करने की मांग की गई है, जो कि काशी-मथुरा जैसे तमाम मामलों में हिंदुओं को उनके मंदिर वापस दिलाने की राह में रूकावट है ²। यह याचिका बीजेपी नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने दाखिल की है, जिन्होंने पूजा स्थल कानून को भेदभावपूर्ण और मौलिक अधिकारों का हनन बताया है।

नाजिया इलाही के बयान और उनके दौरे ने इस मुद्दे को फिर से चर्चा में ला दिया है, और यह देखना होगा कि आगे इस मामले में क्या विकास होता है।

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