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उत्तर प्रदेश, नोएडा: प्रदूषण जांच के लिए ज्यादा राशि लेने वाले केंद्रों के लाइसेंस निरस्त होंगे

उत्तर प्रदेश, नोएडा: प्रदूषण जांच के लिए ज्यादा राशि लेने वाले केंद्रों के लाइसेंस निरस्त होंगे

अजीत कुमार
उत्तर प्रदेश, नोएडा। प्रदूषण जांच के लिए निर्धारित से अधिक राशि लेने वाले केंद्रों का लाइसेंस निरस्त किया जाएगा। अधिक शुल्क लेने का प्रमाण शिकायतकर्ता को परिवहन विभाग कार्यालय में देना होगा। साथ ही जांच शुल्क की गलत सूची चस्पा करने पर भी केंद्र को लाइसेंस से वंचित होना पड़ेगा।

जिले में करीब 120 प्रदूषण जांच केंद्र हैं। इनमें पेट्रोल और डीजल चलित वाहनों में प्रदूषण स्तर की जांच की जाती है। इनमें से कुछ केंद्र ऐसे हैं, जिनमें सिर्फ डीजल या पेट्रोल वाहन में प्रदूषण स्तर की जांच की सुविधा है। परिवहन विभाग के अनुसार वाहनों का प्रदूषण जांच का शुल्क निर्धारित है। इससे अधिक शुल्क लेना गलत है। एआरटीओ प्रशासन डॉ. सियाराम वर्मा ने कहा कि किसी केंद्र में अधिक शुल्क लेने की शिकायत मिलने पर आरोप की जांच होगी और इसकी पुष्टि होने पर केंद्र का लखनऊ मुख्यालय से लाइसेंस निरस्त करने की संस्तुति की जाएगी। वहां से इस पर प्रक्रिया होगी। उन्होंने कहा कि सभी केंद्र तय शुल्क ही वाहन मालिकों से ले।

केंद्र के बाहर शुल्क सूची चस्पा करना अनिवार्य

परिवहन विभाग के आरआई विनय सिंह ने कहा कि प्रदूषण जांच केंद्र के बाहर शुल्क सूची चस्पा करना अनिवार्य है। प्रत्येक वाहन का प्रदूषण जांच शुल्क निर्धारित हैं और यह फाइनल फीस होती है। इसमें अलग से जीएसटी यदि जोड़कर कोई केंद्र लिखता है तो यह गलत है। उन्होंने कहा कि लोग सेक्टर-33 स्थित सहायक संभागीय परिवहन विभाग कार्यालय में अधिक शुल्क वसूलने और गलत सूची चस्पा करने वाले केंद्रों की शिकायत कर सकते हैं। सूची का वीडियो या फोटो प्रमाण के तौर पर परिवहन विभाग में जमा करना जरूरी है।

हर माह औसतन 75 हजार वाहनों की होती है जांच

परिवहन विभाग के अनुसार, हर माह औसतन 70 से 75 हजार वाहनों की प्रदूषण जांच होती है। कभी-कभी इस संख्या में कुछ कमी या अधिकता भी हो सकती है। बीते साल दिसंबर में 75372 वाहनों की प्रदूषण जांच की गई थी। इसमें 67215 पेट्रोल और 8157 डीजल वाहन शामिल थे। पेट्रोल वाहनों की जांच में 300 फेल हो गए थे। वहीं, 62 डीजल वाहन जांच में फेल हुए थे।

अब वीडियो भी अपलोड किया जाता है

परिवहन विभाग के अनुसार, करीब तीन माह पहले तक वाहन की फोटो प्रदूषण जांच के दौरान अपलोड की जाती थी। अब इसे और बेहतर बनाया गया है। प्रदूषण जांच के दौरान वीडियो बनाकर अपलोड करने की सुविधा शुरू की गई है।

हाईब्रिड वाहनों की जांच पर संशय खत्म

आरआई विनय सिंह ने कहा कि हाईब्रिड वाहनों की जांच पर संशय खत्म हो चुका है। इन वाहनों की प्रदूषण जांच भी पेट्रोल मोड पर गाड़ी को ऑन करके की जा रही है। पहले इन गाड़ियों की प्रदूषण जांच को लेकर लोगों में संशय की स्थिति थी।

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