
नई दिल्ली, 6 नवम्बर : कैंसर को लेकर समाज में अनेक मिथक व्याप्त हैं जिनमें मोबाइल फोन इस्तेमाल करने, अंडर वायर ब्रा पहनने और बायोप्सी टेस्ट कराने से ब्रेस्ट कैंसर फैलने की बात भी शामिल हैं। लेकिन ये सच नहीं है। मोबाइल की तरंगों, ब्रा की वायर और बायोप्सी टेस्ट से ब्रेस्ट कैंसर नहीं होता है।
यह जानकारी एम्स दिल्ली के सर्जरी विभाग की अतिरिक्त प्रोफेसर डॉ सुहानी ने ब्रैस्ट कैंसर जागरूकता अभियान के दौरान एम्स परिसर में मौजूद महिलाओं को दी। उन्होंने कहा कि कैंसर को उचित समय पर डिटेक्ट करके ठीक किया जा सकता है। इसका पता लगाने के लिए बायोप्सी व अन्य मेडिकल परीक्षण कराए जा सकते हैं। लेकिन ब्रेस्ट कैंसर ऐसा रोग है जिसे महिलाएं स्व निरीक्षण के जरिये खुद भी पहचान सकती हैं। आजकल, यही रोग महिलाओं के लिए सबसे ज्यादा जानलेवा साबित हो रहा है।
डॉ सुहानी ने बताया कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में वृहद स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर स्क्रीनिंग प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं जिसके चलते महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर फर्स्ट स्टेज या सेकंड स्टेज पर ही डिटेक्ट हो जाता है। इससे जहां कैंसर ग्रस्त महिलाओं को तुरंत उपचार मिलना शुरू हो जाता है। वहीं, जान गंवाने का जोखिम भी खत्म हो जाता है। अगर भारत की बात करें तो यहां जागरूकता के अभाव में अधिकांश महिलाएं थर्ड या फोर्थ स्टेज के कैंसर से पीड़ित होने के बाद ही अस्पताल पहुंचती हैं। ऐसे में उनकी जान के लिए खतरा बना रहता है।
उन्होंने कहा कि 20 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं को हर महीने अपने स्तनों का स्व निरीक्षण करना चाहिए ताकि गांठ, रिसाव या अन्य लक्षण पाए जाने पर वह ब्रेस्ट कैंसर से बचाव के बाबत चिकित्सकीय उपचार तुरंत शुरू करवा सकें। हालांकि, शुरुआती स्तर पर ब्रेस्ट कैंसर का पता लगने पर पीड़ित को कैंसर रोधी दवाओं से उपचार दिया जाता है। जरुरत पड़ने पर ब्रेस्ट भी हटानी पड़ जाती है लेकिन सभी मामलों में पीड़ित की ब्रेस्ट निकालने की जरुरत नहीं होती।
फैमिली में कैंसर हिस्ट्री यानि ज्यादा खतरा
अगर किसी महिला के परिवार में ब्रेस्ट कैंसर की हिस्ट्री (ब्रेस्ट कैंसर से पीड़ित दादी, नानी, बुआ, मौसी) है तो उस महिला को भी कैंसर होने का खतरा है। उसे नियमित रूप से मेडिकल परीक्षण कराने चाहिए। यह रोग उपचार योग्य है जो उचित समय पर इलाज के बाद ठीक हो जाता है।